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उत्तराखंड कांग्रेस में बढ़ी सियासी हलचल.
Uttarakhand Election: विधानसभा चुनाव 2022 के मद्देनज़र कांग्रेस पार्टी के भीतर चर्चाओं और भारी बदलाव की सुगबुगाहटों का दौर शुरू हो चुका है. राज्य में पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों ने लॉबिंग शुरू कर दी है. जानिए कैसा होगा उत्तराखंड कांग्रेस का नया चेहरा!
देहरादून. एक तरफ, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत तीन दिनों से दिल्ली में कई केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ, कांग्रेस के बड़े नेता भी दिल्ली में हैं. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पंजाब की गुत्थी सुलझाने में जुटे हैं, लेकिन उनका ध्यान उत्तराखंड में मनरेगा एनएचएम के उन कर्मचारियों पर भी लगा हुआ है, जो पिछले कई दिनों से धरने पर बैठे हैं या फिर होम आइसोलेशन में हैं. इधर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता विपक्ष इंदिरा ह्रदयेश भी दिल्ली में हैं. इस पूरी सियासी हलचल के चलते माना जा रहा है कि दोनों नेता राष्ट्रीय संगठन के बड़े नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं. कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से दोनों नेताओं की मुलाकात तय हो चुकी है.
खबर है कि 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के अंदर बड़े नेताओं ने लॉबिंग शुरू कर दी है. एक तरफ कई पूर्व और मौजूदा विधायक हरीश रावत को पार्टी के चेहरे के तौर पर देखना चाहते हैं, तो प्रीतम सिंह और इंदिरा ह्रदयेश सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़े जाने की बात कह रहे हैं. यही नहीं, वहीं सल्ट चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद यह चर्चा भी है कि कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव को बदला जा सकता है. सूत्रों का दावा है कि यादव के परफॉरमेंस पर प्रीतम सिंह और इंदिरा ह्रदयेश अपनी नाखुशी राष्ट्रीय संगठन से जता चुके हैं.
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सल्ट चुनाव में हार और उसके नतीजे!
विधानसभा उम्मीदवार को लेकर कांग्रेस के भीतर शुरू से रार थी और जब कांग्रेस हारी, तो अंदरखाने इस बात की चर्चाएं हुईं कि टिकट तय करने में प्रभारी देवेंद्र यादव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की अहम भूमिका रही,इ लेकिन पार्टी को इसका फायदा नहीं हुआ. ऐसे में, प्रदेश संगठन अब प्रभारी के पद पर बदलाव चाहता है, जिसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि उत्तराखंड में प्रदेश प्रभारी की उम्र सिर्फ 48 साल है, वही तीन सीनियर नेताओं हरीश रावत प्रीतम सिंह और इंदिरा हृदयेश उम्र और राजनीतिक अनुभव में काफी बड़े हैं. सभी नेताओं के बीच कोआर्डिनेशन और कनेक्शन बेहतर रहे, इसलिए क़यास है कि किसी बड़े नेता को यह अहम ज़िम्मेदारी सौंपी जा सकती है.
सल्ट चुनाव में हार और उसके नतीजे!
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