यूपीएससी परीक्षा क्रैक करने में कई उम्मीदवारों को सालों लग जाते हैं. इस परीक्षा को क्रैक करने वाले सिविल सर्वेंट के हांथों में अहम जिम्मेदारी आ जाती है. यही वजह है कि इन कामयाब उम्मीदवारों को एक बेहद सख्त ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है. उत्तराखंड में मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन यानी (LBSNAA) में IAS की ट्रैनिंग होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कैसे होती है एक आम युवा से ख़ास ब्यूरोक्रेट बनने की स्पेशल ट्रेनिंग ? तो चलिए हम आपको बताते है।
कहां होती है आईएएस की ट्रेनिंग –
मसूरी के लाल बहादूर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में कैंडिडेट्स को बेसिक एडमिनिस्ट्रेटिव स्किल्स सिखाए जाते हैं. यहां आने वाले सभी कैंडिडेट्स अपने प्रोफाइल पर यहां की यादें जरूर साझा करते हैं. सिविल सर्विस परीक्षा क्रैक करने के बाद सभी की एक समान ट्रेनिंग यहां होती है. LBSNAA में ट्रेनिंग के लिए आने वाले कैंडिडेट्स को फिजिकल फिटनेस से लेकर मेंटल हेल्थ मजबूत कराया जाता है. यहां ट्रेनिंग के दौरान हिमालय ट्रैक्रिंग भी कराई जाती है. हर ट्रेनी को इसमें शामिल होना होता है. इसके अलावा रूरल डेवलपमेंट, एग्रीकल्चर और इंडस्ट्री डेवलपमेंट की ट्रेनिंग होती है. यहां सभी को ऑफिसर रैंक मिलने से पहले सभी क्षेत्र में सक्षम बनाया जाता है.
सीखनी पड़ती है नई भाषा
यूपीएससी सिविल सर्विस फाइनल रिजल्ट जारी होने के बाद कैंडिडेट्स को लिखित परीक्षा और इंटरव्यू राउंड से मिलने वाले मार्क्स के आधार पर रैंक मिलता है. इन्हीं रैंक के हिसाब से उन्हें, IAS, IPS या IFS के लिए सेलेक्ट किया जाता है. रैंक के अनुसार, ही कैंडिडेट्स को कैडर अलॉट होता है. मसूरी के LBSNAA में ट्रेनिंग होने के बाद ऑफिसर्स को उनके कैडर स्टेट में भेजा जाता है. ऐसे में स्टेट में सही से काम कर सकें इसके लिए सभी ट्रेनी को स्थानिय भाषा भी सीखनी पड़ती है. भाषा की जानकारी होने के बाद कैंडिडेट्स को फिर मसूरी आना होता है और लास्ट में उन्हें ज्वॉइनिंग मिलती है.तो अब उम्मीद है आपको पता चल गया होगा कि की एक अफसर बनने के लिए क्यों मसूरी की इस अकादमी में भी किसी भी कैडेट के लिए टॉपर बनना क्यों ज़रूरी है।