विशेष रिपोर्ट – फ़िरोज़ गाँधी
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे चौबीस घंटे में सामने आ जायेंगे। हैरानी की बात तो ये है कि अंतिम समय तक कोई भी पार्टी या प्रत्याशी अपनी जीत का दावा करने की स्थिति में नहीं है। पहाड़ में इस बार गज़ब का समीकरण दिखाई दे रहा है। न हरीश रावत खेमा खुलकर कुछ बोल पा रहा है और न ही मुख्यमंत्री धामी और उनकी पार्टी जीत पर सौ फ़ीसदी निश्चिंत है। अब ऐसे में एक एक सीट और विजयी विधायक का सपोर्ट अहम भूमिका निभाएगा लिहाज़ा एक तरफ निशंक और विजयवर्गीय की जोड़ी फार्मूला फिट करने में जुटी है तो वही देवेंद्र यादव और हरीश रावत प्लान ए , बी , सी पर मंथन कर रहे है।
मीडिया में भले ही कहीं कहीं कांग्रेस को भी बढ़त दिखाई गयी हो लेकिन भाजपा को लगता है कि वो ही बाज़ी जीतेगी। इस खींचतान के बीच दोनों ही पार्टी अपनी अपनी उम्मीदों को हकीकत में बदलने की रणनीति पर काम कर रही है। दोनों ही दलों के रणनीतिकार और जोड़ तोड़ के माहिर नेता इवीएम खुलने और नतीजों के आने के बाद किसी भी स्थिति को पार्टी के पक्ष में करने के की तैयारी में जुट चुके हैं।
70 विधानसभा सीटों वाले उत्तराखंड में मिली जुली सरकार बनने के हालात बनती है तो निर्दलीय और महत्वाकांक्षी विधायक किंगमेकर की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी। अनुमान है कि प्रदेश की 2 – 3 सीटों पर BSP के प्रत्याशियों ने मुक़ाबला त्रिकोणीय बना दिया है
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेता पल पल का इस्तेमाल जोड़तोड़ और खेमे को मजबूत करने में लगा रहे हैं। वैसे भी इस बार प्रदेश में भाजपा की तरफ से रमेश पोखरियाल निशंक फ्रंट फुट पर फील्डिंग सजा रहे हैं। बीजेपी की तरफ से वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय यहां पर पूर्व सीएम निशंक की मदद के लिए पहुंच चुके हैं। वहीं कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल अंतिम फैसले तक पहाड़ी राज्य में डटे रहेंगे। अब इंतज़ार सिर्फ उम्मीदवारों को ही नहीं उस जनता जनार्दन को भी है जिसने इस बार बड़े रहस्यमई ढंग से मतदान किया है।