Flash Story
देहरादून :  मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल लिवर रोगों  को दूर करने में सबसे आगे 
जेल में बंद कैदियों से मिलने के लिए क्या हैं नियम
क्या आप जानते हैं किसने की थी अमरनाथ गुफा की खोज ?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भारतीय वन सेवा के 2022 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को दी बधाई
आग में फंसे लोगों के लिये देवदूत बनी दून पुलिस
आगर आपको चाहिए बाइक और स्कूटर पर AC जैसी हवा तो पड़ ले यह खबर
रुद्रपुर : पार्ट टाइम जॉब के नाम पर युवती से एक लाख से ज्यादा की ठगी
देहरादून : दिपेश सिंह कैड़ा ने UPSC के लिए छोड़ दी थी नौकरी, तीसरे प्रयास में पूरा हुआ सपना
उत्तराखंड में 10-12th के बोर्ड रिजल्ट 30 अप्रैल को होंगे घोषित, ऐसे करें चेक 

दिमाग पर काबू करेगा ‘पास्ट लाइफ रिग्रेशन थैरेपी’ – जानिए कैसे

महविश की विशेष रिपोर्ट –

आज के समय में साइंस ने भले ही कितनी भी तरक्की कर ली हो या वैज्ञानिकों ने अनोखी खोज कर ली हो, लेकिन आज भी विज्ञान किसी के दिमाग का भेद जानने में सफल नहीं है। अगर आज के समय में दिमाग पर नियंत्रण करने के लिए कोई तरीका मौजूद है, तो वह ध्यान और प्राणायाम ही है। इसी का एक हिस्सा ‘पास्ट लाइफ रिग्रेशन थैरेपी’ (पीएलआर) भी किसी के दिमाग पर काबू पाने का एक तरीका है।

हालांकि, कई लोग इस पर विश्वास नहीं करते या फिर इसे अंधविश्वास मानते हैं। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि यदि ये अंधविश्वास है तो ध्यान और प्राणायाम को भी अंधविश्वास माना जाना चाहिए। पास्ट लाइफ रिग्रेशन थैरेपी लगभग बीस हजार साल पुरानी तकनीक है। पास्ट लाइफ रिग्रेशन थैरेपी या हमारे बीते कल की यादो को वापस याद दिलाने का वो जरिया है, जिसके माध्यम से हम अपने आज को बदल सकते है।अक्सर लोगों के साथ ऐसी समस्या आती है की बीते कल की कुछ यादे उन्हें आगे बढ़ने नहीं देती है। ऐसे में रिग्रेशन थैरेपी की मदद ली जा सकती है। पास्ट लाइफ रिग्रेशन थैरेपी के जरिये हम बीते कल को फिर से याद कर सकते है। पास्ट लाइफ रिग्रेशन थैरेपी के दौरान प्रश्नों की श्रृंखला को लगातार पूछा जाता है। इसके जरिए हम अपने अवचेतन मन को एक्टिव कर पुरानी बातो को फिर से याद करते हैं। इससे हम किसी भी दर्दनाक स्थिति से बाहर निकल सकते हैं। दरअसल, ये दो तरह का होता है, जिसमें एक होता है रिग्रेशन और दूसरा होता है प्रोग्रेशन। अब आप सोच रहे होंगे कि इनमें क्या अंतर है? दरअसल, रिग्रेशन में ध्यान के जरिए इंसान को उसके पिछले समय में ले जाया जा सकता है, वहीं प्रोगेशन की बात करें तो इसमें आने वाले समय में ले जाया जाता है।

‘पास्ट लाइफ रिग्रेशन थैरेपी’ एक प्रकार का सेल्फ हिप्नोटिज्म (आत्म-सम्मोहन) होता है, इसके तहत सांसों पर नियंत्रण पाकर पिछले जन्म या बीते समय में जाया जा सकता है। किसी भी इंसान का दिमाग, ध्यान की इस अवस्था में उस पर हावी नहीं होता। ऐसे में वह जो कुछ भी सोचता है उसे सच्चाई के बहुत करीब माना जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top