“कोर्बेट टाइगर रिजर्व” से एक बाघिन को “राजाजी टाइगर रिजर्व” लाया गया है। यह ट्रांसलोकेशन “राजाजी टाइगर रिजर्व” के पश्चिमी भाग में बाघों की आबादी पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इससे पहले भी दो बाघों ( एक नर,एक मादा) को यहां वर्ष 20-21 में लाया गया था। डॉ.समीर सिन्हा,प्रमुख वन संरक्षक (वन्य जीव),उत्तराखंड
इस बाघिन का चिन्हीकरण एक विशेषज्ञ समिति द्वारा गहन अध्ययन एवं स्थल निरीक्षण के उपरांत किया गया था। इस की उम्र लगभग 5 वर्ष है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कोर जोन में निदेशक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व डॉ “धीरज पांडे” के नेतृत्व में पशु चिकित्सकों की एक विशेषज्ञ टीम ने ट्रेनकुलाइज किया। जिसके बाद इसे पूरी चिकित्सीय जांच के बाद “रेडियो कॉलर” लगाया गया एवं तदुपरांत राजाजी टाइगर रिजर्व को सड़क मार्ग द्वारा भेजा गया।
सुबोध उनियाल,वन मंत्री,उत्तराखंड
“राजाजी टाइगर रिजर्व” में आगमन के उपरांत पुनः चिकित्सकों की टीम द्वारा इसका गहन परीक्षण किया गया। इसे यहां पर 1 हेक्टेयर क्षेत्र के निर्मित बाड़े में प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ “समौर सिन्हा” और निर्देशक राजाजी टाइगर रिजर्व डा. “साकेत बडोला” की उपस्थिति में सकुशल छोड़ा गया।
डॉ.धीरज पांडे,निदेशक,कॉर्बेट नेशनल पार्क
बाघिन पूरी तरह स्वस्थ है और अपने नए इलाके में इसकी प्रत्येक गतिविधि पर सीसीटीवी कैमरा ट्रैप ड्रोन और वहां पर तैनात वन कर्मियों द्वारा लगातार निगरानी रखी जा रही है। इस बाघिन को राजाजी टाइगर रिजर्व के खुले वन में छोड़ने का निर्णय सभी बिंदुओं की समीक्षा कर कुछ समय के बाद लिया जाएगा।
डॉ.साकेत बडोला,निदेशक,राजा जी नेशनल पार्क
प्रदेश के वन मंत्री “सुबोध उनियाल” ने परियोजना में लगे सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को इस सफलता पर बधाई देते हुए यह कहा कि “उत्तराखंड वन्य जीव संरक्षण में हमेशा अग्रणी रहा है और आज यह ट्रांसलोकेशन इसी सफल क्रम की अगली कड़ी है।” उन्होंने अपेक्षा की है कि इस परियोजना के क्रियान्वयन से न सिर्फ़ इन वनों में बाघ का कुनबा बढ़ेगा बल्कि इससे पर्यटन के माध्यम से स्थानीय रोजगार के अवसरों में भी बढ़ोतरी होगी।