हंसी क्यों हो गई गायब
मनोचिकित्सक डॉक्टर अजीत दीवान ने वुमन भास्कर से बातचीत में इसके लिए मोबाइल को जिम्मेदार बताया। उनके अनुसार लोग मोबाइल पर इतने बिजी हैं कि वह निगेटिव होने लगे हैं। इंसान एक सामाजिक प्राणी है। अगर वह सोशल नहीं होगा तो डिप्रेशन का शिकार बन सकता है। आज लोगों का स्क्रीन टाइम बढ़ गया है, वह न्यूक्लियर फैमिली में रह रहे हैं, सही डाइट नहीं ले रहे। इसलिए उनकी जिंदगी से हंसी गायब हो गई है।
ब्लू लाइट से ब्लैक एंड वाइट हो गई जिंदगी
जब मोबाइल नहीं थे, हम अपना वक्त परिवार और दोस्तों को देते थे। उनसे खूब बातें करते थे और हंसते भी थे। पर अब हम सबसे ज्यादा वक्त अपने मोबाइल के साथ बिताते हैं। वहीं कोरोना के बाद वर्क फ्रॉम होम के ट्रेंड से लोगों का ब्लू लाइट पर स्क्रीन टाइम बढ़ा। इससे कई लोग डिप्रेशन व स्ट्रेस के शिकार हो गए हैं। हमारी दुनिया अब फेसबुक, इंस्टाग्राम तक सिमट कर रह गई है। इसके जरिए हम लोगों से वर्जुअली तो कनेक्ट हैं पर सोशली काफी दूर हैं।
हंसते रहें सेहतमंद रहें
जिस तरह जिंदगी में खाना पीना जरूरी है, उसी तरह हंसना भी जरूरी है। औसतन एक व्यक्ति दिन में 17 बार और एक बच्चा 300 से ज्यादा बार हंसता है। तो क्यों न हम बच्चे बन जाएं और खूब हंसे क्योंकि हंसेंगे तो खुश भी रहेंगे और सेहतमंद भी। एक शोध के अनुसार अगर आप दिन में 10 से 15 मिनट हंस लेते हैं तो आपको जिम जाकर पसीना बहाने की जरूरत नहीं है। आप हंसने से ही 40 कैलोरी बर्न कर सकते हैं। वहीं खुल कर हंस लो तो आपकी बॉडी 45 मिनट तक रिलैक्स हो सकती है। वहीं टेंशन भी दूर भाग जाती है।