उत्तराखंड में मौसम बदनले के साथ पहाड़ में लालिमा नज़ारे को दिलकश बना देती है.बसंत ऋतु खिले लाल सुर्ख बुरांश की डालियाँ . इस ऋतु के आने पर पहाड़ों की खूबसूरती कई गुना बढ़ा देती है. माघ, फागुन, चैत्र, वैशाख के महीनों में यहां मौसमी फलों-फूलों आदि की प्रचूरता बढ़ जाती है.इन्हीं महीनों में खिलने वाला पहाड़ की शान है फायदेमंद मौसमी फूल ‘बुरांश’ .
मार्च और अप्रैल के महीनों में पहाड़ इसके फूलों के रंग से सराबोर हो जाते हैं.आपको बता दें कि बुरांश का पौधा 1500-3600 मीटर की ऊंचाई पर उगता है.यह 20 मीटर तक ऊंचा होता है. इसकी दो प्रजातियां पहाड़ों में इन दिनों खिली हुई है एक लाल और दूसरी सफेद. सफेद बुरांश को आमतौर पर प्रयोग में कम लाया जाता है, लेकिन लाल बुरांश का प्रयोग पहाड़ों में बहुत ज्यादा किया जाता है.
लाल बुरांश से बना हुआ शरबत हृदय रोग के लिए कारगर माना जाता है, तो वहीं अब कोरोना की दवा के लिए भी लाल बुरांश का प्रयोग हो रहा है.बुरांश का फूल आपके खून में हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करता है और एनीमिया यानी शरीर में खून की कमी को दूर करता है.इसके अलावा हड्डियों को मजबूत करने, शरीर और त्वचा की जलन को शांत करने तथा डायबिटीज रोगियों के लिए भी मददगार है.पारंपरिक उपयोग के तौर पर बुरांश के फूल की पंखुड़ियों का उपयोग खाने में किया जाता है. इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है. लगभग सभी धार्मिक कार्यों में देवताओं को बुरांश के फूल चढ़ाए जाते हैं. बुरांश का फूल उत्तराखंड में ही नहीं, बल्कि भूटान, चीन, नेपाल, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका में भी पाया जाता है.