विशेष रिपोर्ट – आशीष तिवारी
पहाड़ में जब दूर दूर तक आप अकेले हों और सिर्फ राहगीरों के आपके आसपास कोई मददगार न हो तो चिंता मत कीजियेगा , उत्तराखंड मित्र पुलिस तो है न…. जब जब सेवा और सर्विस के साथ सामाजिक दायित्व निभाने की बात आती है तो देवभूमि में पुलिस की भूंमिका चर्चाओं में रहती है। कोरोना काल से लेकर चार धाम यात्रा तक उत्तराखंड पुलिस का ये अभियान जारी है। पहाड़ में दुर्गम और मुश्किल भरे रास्तों पर तीर्थयात्रियॉं की कमददगार बानी पुलिस जवानों की तस्वीरें देश दुनिया को एक सुखद एहसास भी करा रही हैं।
चारधाम यात्रा व्यवस्थाएं दुरुस्त बनी रहे, इसके लिए शासन-प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है। यात्रा मार्ग पर किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर सम्बन्धित विभागों द्वारा त्वरित कार्यवाही की जा रही है। किसाला में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारी पत्थर गिरने से यात्रा मार्ग बाधित होने पर एनएचएआई के सहयोग से करीब ढाई घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद मार्ग को खुलवाया गया। इससे पूर्व श्री केदारनाथ धाम में अपने परिजनों से बिछड़ गई 6 वर्षीय आव्या को पुलिस की मदद से उनके परिजनों से मिलाया गया।
ऐसे ही कई उदाहरण सामने आए हैं, जिनमें प्रशासन द्वारा चारधाम यात्रा के दौरान अपना भरपूर योगदान दिया गया है। एक दिन पहले केदारनाथ के रास्ते में अचानक बीमार हुए तीर्थयात्री को हेलीकॉप्टर के माध्यम से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), ऋषिकेश रेफर किया गया।
जबकि गुरुवार सुबह करीब 10 बजे केदारनाथ धाम जा रहे रायगढ (छत्तीसगढ) निवासी 62 वर्षीय तीर्थ यात्री अचानक गिरने से पत्थर की चपेट में आ गए। तीर्थ यात्री को गौरीकुंड लाया गया और उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया। प्राथमिक उपचार के बाद घायल तीर्थ यात्री को 108 एंबुलेंस से सोनप्रयाग तक लाया गया। जहां से जिला प्रशासन की टीम द्वारा तत्काल उसे एम्स ऋषिकेश के लिए एअर लिफ्ट किया गया।
इससे पूर्व 11 मई को श्री केदारनाथ धाम के दर्शन करने जम्मू कश्मीर से आई एक महिला का पैर फ्रैक्चर हो गया। उन्हें हेलीकॉप्टर के माध्यम से सोनप्रयाग तक पहुंचाया। श्री केदारनाथ यात्रा मार्ग पर 16 चिकित्सालयों में अब तक 9356 की ओपीडी की गई।
जिसमें से 6683 पुरूषों व 2673 महिलाओं की जांच कर दवा वितरित की गई। अभी तो शुरुआत है आपको ऐसी ही दिल को छू लेने वाली मानवता की सेवा करते पुलिसकर्मियों की कहानिया आगे खूब सुनाई और दिखाई देंगी।