मेरठ के थाना देहली गेट के कोतवाल साहब रमेश चंद शर्मा का छोटा बेटा अभिनव शर्मा यूपीएससी परीक्षा में 130 वीं रैंक के साथ हुआ सफल
एसएसपी मेरठ सहित पूरा पुलिस विभाग खुश,दी शुभकामनाएं और बधाई
मूल रूप से बदायूं के है शर्मा जी, उत्तराखंड के उधमसिंह नगर और मुरादाबाद से भी है गहरा रिश्ता
विशेष संवाददाता
न्यूज वायरस नेटवर्क
मेरठ। जब एक पिता पुलिस विभाग में वर्दी पहनकर कानून व्यवस्था की सेवा कर रहा हो और उसका बेटा देश की सर्वोच्च प्रशासनिक सेवा में चयनित हो जाए, तो यह केवल पारिवारिक गौरव नहीं बल्कि समाज के लिए प्रेरणा की मिसाल बन जाता है। मेरठ के थाना देहली गेट के प्रभारी निरीक्षक रमेश चंद शर्मा के छोटे बेटे अभिनव शर्मा ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा 2024 में ऑल इंडिया रैंक 130 प्राप्त कर क्षेत्र और परिवार का नाम रोशन किया है। शिक्षा से सेवा तक: परिवार की विरासत
अभिनव शर्मा के दादा, स्व. श्री खूबराम शर्मा, एक सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक थे, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में सेवा दी। उनके बेटे रमेश चंद शर्मा ने इस सेवा परंपरा को पुलिस विभाग में अपनाया और वर्तमान में थाना देहली गेट, मेरठ में प्रभारी निरीक्षक के रूप में कार्यरत हैं।
बेटे ने बढ़ाया सम्मान: प्रशासनिक सेवा में मिला स्थान
कोतवाल साहब के दो बेटे हैं। बड़े बेटे डॉ. अभिषेक शर्मा, एमबीबीएस हैं और रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज, बरेली में कार्यरत हैं। वहीं, छोटे बेटे अभिनव शर्मा ने प्रशासनिक सेवा की राह चुनी और भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में चयनित हुए।
गांव से लेकर IAS तक का सफर:
अभिनव शर्मा मूल रूप से ग्राम पडेली, थाना दातागंज, जिला बदायूं के निवासी हैं। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने जनपद उधमसिंह नगर, उत्तराखंड से ली। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई पी एम एस स्कूल, मुरादाबाद से की। बाद में उन्होंने IIT पटना से सिविल इंजीनियरिंग में B.Tech (2020) किया।
UPSC की तैयारी उन्होंने कक्षा 11 और 12 के साथ ‘स्कॉलर्स डेन’ कोचिंग सेंटर, मुरादाबाद से शुरू की।
कई असफलताओं के बाद मिली सफलता
2021: पहला प्रयास: प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं कर सके
2022: दूसरा प्रयास: मुख्य परीक्षा तक पहुँचे, चयन नहीं हुआ
2023: तीसरे प्रयास में इंडियन पोस्टल सर्विस में सफल
2024: चौथे प्रयास में IAS, ऑल इंडिया रैंक – 130
संस्कार और संघर्ष की मिसाल:
अभिनव अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को देते हैं। माता श्रीमती शालिनी शर्मा एक गृहिणी हैं, जिन्होंने परिवार में संस्कारों को संजोकर रखा। वहीं, पिता ने अपनी व्यस्त ड्यूटी के बावजूद बच्चों की शिक्षा में कभी समझौता नहीं किया।
हर युवा के लिए प्रेरणा
यह कहानी सिर्फ एक परिवार की नहीं है, बल्कि उन सभी युवाओं के लिए है जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने सपनो को पूरा करना चाहते हैं.