उत्तराखंड के चमोली जिले में ऋषिगंगा और रौंथी गदेरे के संगम पर बनी झील के अध्ययन और जल निकासी के लिए सरकार ने दो कमेटियों का गठन किया गया है। इसमें एक कमेटी झील के खतरे एवं तकनीकी अध्ययन का जायजा लेगी जबकि दूसरा दल जल की निकासी से जुड़े कार्यों को पूरा करेगा। मुख्य सचिव ओम प्रकाश की ओर से इस मामले में आदेश जारी कर दिए गए हैं। आपको बता दें कि चमोली जिले के ऋषिगंगा कैचमेंट एरिया में सात फरवरी को हिमस्खलन व झील बनने की घटना की वजह से आपदा आई थी। जिसके बाद से सरकार इस दिशा में काम कर रही थी।

हांलाकि इस कुदरती कहर में बड़ी संख्या में लोगों की जान गई जबकि कई अभी भी लापता चल रहे हैं। ऋषिगंगा पर बनी झील से वैसे तो तीन धाराओं के जरिए पानी की निकासी हो रही है। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि वहां अभी भी काफी पानी जमा है जो भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।

अब झील स जुडी रिसर्च और जल निकासी के लिए अलग अलग संस्थाओं के दो एक्सपर्ट टीमों का गठन किया गया है। यह दल आज रवाना हो गया है । आईटीबीपी के उप महानिरीक्षक अपर्णा कुमार और एसडीआरएफ की उप महानिरीक्षक रिद्धिम अग्रवाल इन दोनों दलों के साथ समन्वय कर सहयोग प्रदान करेंगी।

कौन कौन है जल निकासी के लिए गठित दल में शामिल – -बेनुधर नायक कमांडेट आईटीबीपी, टीम लीडर
-एके डबराल सेकेंड इन कमान, आईटीबीपी -गजेंद्र परवाल इंस्पेक्टर एसडीआरएफ
-मनोज रावत, सब इंस्पेक्टर, एसडीआरएफ -जेएस रावत, निरीक्षक नेहरू पर्वतारोहण संस्थान

झील के खतरे का आंकलन तकनीकी परामर्श के लिए गठित कमेटी सदस्यों के नाम –
-डॉ एमपीएस बिष्ट, निदेशक यूसैक-डॉ मनोज कायस्था, निदेशक जीएसआई देहरादून
-भूपेंद्र सिंह निदेशक जीएसआई देहरादून-पवन कुमार वरिष्ठ भू वैज्ञानिक जीएसआई
-राकेश मिश्रा वरिष्ठ भू वैज्ञानिक जीएसआई-डॉ मनीष मेहता वैज्ञानिक वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान
-डॉ अमित कुमार वैज्ञानिक वाडिया हिमालय भू वैज्ञानिक संस्थान -निदेशक डीआरडीओ के नामित सदस्य-सुशील खंडूरी भू वैज्ञानिक यूएसडीएमए
