आपने लोगों को कहते सुना होगा कि गुस्से में दिमाग फटने लगता है, लेकिन हकीकत इससे कहीं ज्यादा खतरनाक है। गुस्सा पूरे शरीर को बीमार कर देता है। यह दिमाग ही नहीं, दिल और पेट भी खराब करता है। यह पुरानी बीमारियों को उभार देता है। बाल्टीमोर के जॉन हॉपकिंस अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर इलन शोर विटस्टीन कहते हैं- गुस्से या हताशा में शरीर के न्यूरो हॉर्मोनल सिस्टम पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है, जो इमरजेंसी तक पहुंचा सकता है। लंबे समय में मौत तक हो सकती है। गुस्सा हमारे कार्डियोवस्कुलर सिस्टम से नर्वस सिस्टम तक को प्रभावित करता है।गुस्से से शरीर के हर हिस्से पर असर :
गुस्से का दिल पर प्रभाव: ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के विशेषज्ञ डॉक्टर विटस्टीन कहते हैं- गुस्सा धमनियों को संकुचित करता है। पहले से कोई कार्डियोवस्कुलर बीमारी जैसे हाई बीपी या हाई कोलेस्ट्रॉल है तो दिल का दौरा पड़ सकता है। डॉक्टर विटस्टीन कहते हैं- गुस्से से बीपी बढ़ने, नसों के सिकुड़ने के साथ इम्यून सिस्टम से पचाने वाले सेल निकलते हैं। यह सब एक साथ होता है। इससे धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं।
दिमाग फैसले नहीं ले पाता: गुस्से में दिमाग सही फैसले नहीं कर पाता। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में मनोरोग और बिहेवियरल न्यूरोसाइंस के प्रोफेसर डॉक्टर रोयसे ली कहते हैं- किसी खास वजह से उत्तेजित होने पर दिमाग कुछ कर दिखाने के लिए भी प्रेरित करता है। ली कहते हैं- इंसान गुस्से में वह कह और कर जाता है, जिसे वह पसंद नहीं करता। गुस्से में याददाश्त कमजोर होती है। किसी चीज पर केंद्रित नहीं हो पाते।
पेट की परेशानी: भावनाओं और पेट का गहरा संबंध है। गुस्से की वजह से गैस्ट्रो की समस्या होने लगती है। खाना पचता नहीं है। कब्ज रहने लगता है। डॉक्टर एटिनजिन कहते हैं- गुस्से में पेट की मांसपेशियां ज्यादा सक्रिय हो जाती हैं। कई बार आंते अपनी जगह से हट जाती हैं। इससे डायरिया तक हो सकता है। कई बार गुस्से की वजह से पेट में मरोड़ भी पड़ने लगते हैं। कई बार भूख लगना बंद हो जाती है।
खुद को फिट रखें और पूरी नींद लें
येल स्कूल ऑफ मेडिसिन में क्लिनिकल मनोविज्ञानी और प्रोफेसर डॉक्टर वीलियम बर्ग कहते हैं- गुस्सा रोक पाना हमेशा संभव नहीं होता, लेकिन हम इसे कम कर सकते हैं। ध्यान, प्राणायाम के साथ खुद को फिट रखें और पूरी नींद लें। इससे गुस्सा कम आएगा।