साइबर अटैक की लिस्ट में नए खतरे का नाम है ब्लूबगिंग. इसे इसलिए भी खतरनाक बताया जा रहा है क्योंकि इसका सीधा कनेक्शन ब्लूटूथ से है. जानिए क्या है ब्लूबगिंग, कैसे होता है यह सायबर अटैक और डिवाइस को कैसे सुरक्षित रखें..तकनीक के जरिए लाइफ आसान बन रही है, लेकिन सायबर अटैक का खतरा भी बढ़ रहा है. सायबर अटैक की लिस्ट में नए खतरे का नाम है ब्लूबगिंग. इसे इसलिए भी खतरनाक बताया जा रहा है क्योंकि इसका सीधा कनेक्शन ब्लूटूथ से है.
जानिए क्या हैकिंग का नया हथियार ‘ब्लूबगिंग’?
हाल में सायबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स ने चिंता जताई है कि वो ऐप जो स्मार्टफोंस और लैपटॉप को वायरसलेस ईयरबड्स से कनेक्ट करते हैं उनके जरिए ब्लूबगिंग का खतरा है.इतना ही नहीं, आइफोंस में भी ब्लूबगिंग जैसे सायबर अटैक का खतरा जताया गया है. यह भी कहा गया है कि ब्लूटूथ से जुड़ी ऐप ऐपल यूजर्स और सिरी के बीच होने वाली बातचीत को भी रिकॉर्ड कर सकती है.जानिए क्या है ब्लूबगिंग, कैसे होता है यह सायबर अटैक और डिवाइस को कैसे सुरक्षित रखें…क्या है ब्लूबगिंग और हैकर्स कितना नुकसान पहुंचाते हैं?
ब्लूबगिंग हैकिंग की ऐसी तकनीक है जिसका इस्तेमाल हैकर्स तब करते हैं जब ब्लूटूथ डिस्कवरी मोड में होता है. यानी दूसरी डिवाइस को जोड़ने के लिए सर्च कर रहा होता है. इसी दौरान ही हैकर्स यूजर्स की डिवाइस को निशाना बनाते हैं.ब्लूबगिंग के जरिए डिवाइस को हैक करने के बाद हैकर्स यूजर्स की कॉल और मैसेज तक अपनी पहुंच बना लेते हैं. इतना ही नहीं, वो यूजर्स की कॉल को अपने नंबर पर डाइवर्ट तक कर सकते हैं और फोन में मौजूद हर जानकारी को चुरा सकते हैं. इसका इस्तेमाल वो अपने फायदे और सुविधा के हिसाब से करते हैं.कैसे हैकिंग को देते हैं अंजाम?
जर्मन शोधकर्ता मार्टिन हरफर्ट ने 2004 में ब्लूबगिंग को विकसित किया था. शुरुआती दौर में इससे सिर्फ लैपटॉप को खतरा था, लेकिन बाद में मोबाइल और ब्लूटूथ से लैस दूसरी डिवाइस में इस साइबर अटैक के मामले सामने आने लगे. यह ऐसा अटैक है को फोन की सिक्योरिटी को भी मात दे देता है.हैकर्स कैसे इसको अंजाम देते हैं, अब इसे भी समझ लीजिए. जब भी यूजर्स ब्लूटूथ के जरिए स्मार्टफोंस और लैपटॉप और ईयरबड्स को कनेक्ट करता है तो हैकर्स की डिवाइस भी उस लिस्ट में दिखाई देने लगती हैं. अगर यूजर्स गलती से उसे कनेक्ट करता है तो हैकर्स साइबर अटैक को अंजाम देते हैं.