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पिछले दिनों तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद उत्तराखंड के सीएम के संभावित चेहरों में शामिल रहे धन सिंह रावत को स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्री के रूप में धामी कैबिनेट में खासा कद मिला है. अधिसूचना की मानें तो रावत के पास वो सभी विभाग भी हैं, जो तीरथ सरकार के समय उनके पास थे. कुछ और मामलों में यह कैबिनेट अहम है. इसकी चर्चा से पहले जानिए कि किस मंत्री को कौन से विभाग सौंपे गए.
किस मंत्री के पास कितने विभाग?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी : गृह, भ्रष्टाचार उन्मूलन, नागरिक उड्डयन, वित्त, वाणिज्य कर, राजस्व, न्याय जैसे 12 विभाग सीएम ने अपने पास रखे हैं.
सतपाल महाराज कैबिनेट मंत्री : पर्यटन, संस्कृति के अलावा महत्वपूर्ण लोक निर्माण विभाग सहित कुल 8 विभाग महाराज को मिले हैं.
सुबोध उनियाल : कृषि, कृषि शिक्षा, रेशम विकास, जैव प्रौद्योगिकी आदि 7 विभाग मिले.
डॉ. धनसिंह रावत : सहकारिता, आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास, उच्च शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा जैसे पांच विभाग रावत के पास रहेंगे.
डॉ. हरक सिंह रावत : श्रम, आयुष, वन के अलावा ऊर्जा एवं वैकल्पिक ऊर्जा जैसे अहम विभाग के साथ कुल 7 विभाग रावत के पास हैं.
बंशीधर भगत : खाद्य, शहरी विकास, आवास आदि कुल पांच विभाग भगत को सौंपे गए.
उत्तराखंड कैबिनेट में मंत्रियों को विभाग बांटे गए. (File Photo)
यतीश्वरानंद : गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग, ग्राम्य विकास जैसे 4 विभाग संभालेंगे.
यशपाल आर्य : परिवहन, समाज कल्याण और आबकारी जैसे 6 विभाग सौंपे गए.
बिशन सिंह चुफाल : कुल 4 विभाग संभालेंगे.
रेखा आर्य : महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रहीं आर्य के पास 4 विभाग रहेंगे.
गणेश जोशी : खादी एवं ग्रामोद्योग सहित 4 विभाग मिले.
अरविंद पांडे : खेल, पंचायती राज, संस्कृत शिक्षा जैसे 6 विभाग मिले.
कैबिनेट की खास बातें क्या हैं?
1. प्रदेश के इतिहास में पहली बार ऊर्जा मंत्री बनाया गया है और यह प्रभार हरक सिंह रावत को मिला है. इससे पहले एनडी तिवारी सरकार में अमृता रावत के पास ऊर्जा विभाग था, लेकिन वो राज्य मंत्री थीं.
2. खबरों की मानें तो हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज और यशपाल आर्य की नाराज़गी दूर करने के लिहाज़ से विभागों का बंटवारा किया गया है.
3. धामी कैबिनेट में साफ तौर पर धन सिंह रावत और यतीश्वरानंद का कद बढ़ाया गया है.
सीएम धामी ने खेला बड़ा दांव
चूंकि उत्तराखंड में कुछ ही महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने हैं इसलिए युवा सीएम धामी ने इस दबाव और विधायकों की मंशा को समझते हुए अपने पास विभागों को रखने का जोखिम नहीं उठाया है. केवल एक दर्जन विभाग अपने पास रखने वाले सीएम की यह रणनीति दूरगामी मानी जा रही है. बता दें कि इससे पहले तीरथ सिंह रावत ने बतौर सीएम अपने पास 20 विभागों की ज़िम्मेदारी रखी थी और उससे पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत 50 से ज़्यादा विभागों का प्रभार लिये हुए थे.
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