यात्रा मार्ग पर नहीं चलेंगे चोटिल और अस्वस्थ घोड़े – सौरभ बहुगुणा

देहरादून : चार धाम यात्रा उत्तराखंड की आय का मुख्य स्त्रोत है। इसको सफल बनाने के लिए राज्य सरकार के विभिन्न विभाग अपना कार्य करते हैं। सरकार का यह भी लक्ष्य रहता है कि यात्री अत्यधिक चारों धर्मों के दर्शन करें ताकि अत्यधिक राजस्व उत्तराखंड को प्राप्त हो सके। इस बार सरकार की उम्मीद के अनुसार यात्री उत्तराखंड पहुंचे हैं जिससे यात्रा में यात्रियों के साधन के लिए जानवरों पर भी अधिक भार बड़ा है।लेकिन इस मौके का  बेलगाम घोड़े और खतरों के मालिक चार धाम यात्रा में जानवरों का इस्तेमाल करते हैं ताकि वह बेहतर मुनाफा कमा सके।

बेहतर मुनाफा पाने के लिए  यात्रियों से  ओवरचार्जिंग और घोड़े – खच्चरों को लगातार काम  करने से जानवरों पर क्रूरता के मामले सामने आते है। आपको बता दे की केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के पैदल मार्ग में लगातार चलते घोड़े खच्चर एक मुख्य परिवहन के साधन है। लेकिन इस बार पशुपालन विभाग ने इस यात्रा को सफल बनाने के लिए कई कड़े नियम, सुविधाएं और जानवरों की क्रूरता रोकने के लिए भी अत्यधिक प्रयास विभाग द्वारा किए गए। पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने सभी व्यवस्थाओं  और जानवरों की क्रूरता को रोकने के लिए विभाग द्वारा बेहतर प्रयास की जानकारी दी।इस बार केदारनाथ धाम में घोड़ों की  8 हजार क्षमता रखी गई है। जिसमें विभाग ने यात्रा से पहले  तैयारी करते हुए पंजीकरण और मेडिकल कैंप की व्यवस्था चौकस की, इसके साथ चोटिल और अस्वस्थ घोड़े का रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया, वही घोड़ा – खच्चरो का यात्रा के दौरान ऑडिट करने के लिए  40 सदस्यों की टास्क फोर्स का गठन किया गया । साथ ही  बीते वर्ष से डॉक्टर की क्षमता को बढ़ाकर 7 कर दिया गया, इसके साथ 600 से 700 घोड़े के आराम करने के  लिए नए टीन शेड और जानवरों के लिए गरम पानी की व्यवस्था रखी गई है ।

वही इस बार जानवरों के मालिक की ओवर चार्जिंग और बीते वर्ष क्रूरता की कई वीडियो सामने आने के बाद, इस बार पशुपालन विभाग और भी सख्त हो चुका है घोड़े – खच्चरो पर बार कोड लगाया गया है जिससे उनकी जानकारी प्राप्त हो सके साथ ही घोड़े के मालिकों को आईडी कार्ड भी बनाया गया है ताकि उनकी पहचान हो सके ।आने वाले समय में अगर जरूरत पड़ेगी तो घोड़े– खच्चरों की  8 हजार नियमित  सीमा को और भी बढ़ाया जाएगा।

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