हिंदू धर्म में जीवित्पुत्रिका व्रत का खास महत्व है. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान दीर्घायु होता है. यही कारण है कि महिलाएं निर्जला रहकर इस व्रत को विधिपूर्वक करती हैं. जीवितपुत्रिका व्रत को जीउतिया जितिया के नाम से जाना जाता है. जितिया व्रत मुख्य तौर पर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कई स्थानों पर रखा जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत की शुरुआत अष्टमी तिथि को होती है. साथ ही दशमी तिथि को इस व्रत का पारण किया जाता है. इस साल जीतिया व्रत की तिथि को लेकर कंफ्यूजन बना हुआ है. व्रती महिलाएं इस बात को लेकर कंफ्यूजन में हैं कि आखिर 17 या 18 सितंबर कब रखा जाएगा व्रत. आइए ऐसे में जानते हैं कि जीवित्पुत्रिका व्रत की सही तिथि क्या है और इससे जुड़े खास नियम क्या-क्या हैं.
जीवित पुत्रिका व्रत तिथि 2022
हिंदू पंचांग के अनुसार, जीवितपुत्रिका व्रत आश्विन मास की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. इस साल आश्विन कृष्ण अष्टमी 17 सितंबर, को दोपहर 2.14 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 18 सितंबर को शाम 4 बजकर 32 मिनट तक है. ऐसे में जीवितपुत्रिका का व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा. जबकि व्रत का पारण 19 सितंबर को किया जाएगा.
जीवित पुत्रिका व्रत शुभ मुहूर्त
जीवितपुत्रिका व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा. वहीं व्रत के दिन सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है. इस दिन सिद्ध योग सुबह 6 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. इसके साथ ही अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से देपहर 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा लाभ और अमृत योग सुबह 9 बजकर 11 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक है. जितिया पूजा के लिए उत्तम मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 47 मिनट से दोपहर 3 बजकर 19 मिनट तक रहेगा. ऐसे में इस शुभ मुहूर्त में पूजा की जा सकती है.
जीवितपुत्रिका व्रत पारण
जीवितपुत्रिका व्रत का पारण 19 सितंबर, 2022 को किया जाएगा. इस दिन पारण के लिए शुभ समय सुबह 6 बजकर 8 मिनट से लेकर 7 बजकर 40 मिनट तक रहेगा.
जीवितपुत्रिका व्रत में रखें इन बातों का ध्यान
धार्मिक मान्यता के अनुसार, व्रत से पहले नोनी का साग खाया जाता है. इस साग में कैल्शियम और आयरन की भरपूर मात्रा में पाई जाती है. यही कारण है कि इसे व्रत से पहले सेवन करने के लिए कहा जाता है.
व्रत पारण के बाद जितिया को महिलाएं गले में पहनना चाहिए. जितिया लाल रंग का धागा होता है. वहीं, जितिया का लॉकेट भी धारण किया जा सकता है.