अनूप मलिक उत्तराखंड वन विभाग के नए चीफ (HOFF) नियुक्त
अनुशासन और वरिष्ठता को लेकर धामी सरकार का स्पष्ट संदेश
मुख्यमंत्री धामी के विज़न टेक्नोलॉजी ड्रिवन के तहत एमआईएस और जीआईएस पद्धति पर आधारित फॉरेस्ट बाउंड्रीज का डिजिटलाइजेशन और वन मंत्री सुबोध उनियाल का विज़न जनसहभागिता नए HOFF की सर्वोच्च प्राथमिकता
मो सलीम सैफी न्यूज़ वायरस नेटवर्क
उत्तराखंड के धाकड़,संवेदनशील और न्यायप्रिय युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने जुदा अंदाज़ से लगातार लोकप्रिय होते जा रहे है,शासन प्रशासन के पेचीदा मुद्दो पर बड़ी सुझबुझ से निर्णय करने वाले मुख्यमंत्री धामी ने अपने एक ही फैसले से जंगल विभाग को अनुशासन का पाठ पढ़ा दिया अर्थात मुख्यमंत्री ने प्रदेश के वरिष्टम आईएफएस अधिकारी अनूप मलिक को वन विभाग का चीफ नियुक्त करके जुगडबाजों को सीधा संकेत दे दिया है कि अनुशासन और वरिष्ठता पर सरकार कोई समझौता करने वाली नही है,अनूप मलिक उत्तराखंड वन विभाग के नए चीफ ( HOFF )बनाए गए है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले काफ़ी लंबे समय से जंगल विभाग में चल रही उस जंग को एक ही झटके में ख़त्म कर दिया जिससे प्रदेश सरकार को कई मोर्चों पर फजीहत का सामना करना पड़ रहा था,वन मंत्री सुबोध उनियाल हो या शासन में बैठे अधिकारी हर कोई वन विभाग में हॉफ के पद को लेकर चल रही नूरा कुश्ती से तंग आ चुके थे, रोज़ रोज़ अनुशासनहीनता देखने को मिल रही थी मगर मुख्यमंत्री धामी ने अपनी कार्यकुशलता के अनुरूप निर्णय करते हुए अनूप मलिक को हॉफ नियुक्त कर दिया,जो वरिष्ठता क्रम में सबसे सीनियर है।
हरियाणा के रोहतक जिले के मूल निवासी अनूप मलिक 1987 बैच के उत्तराखंड कैडर के आईएफएस अधिकारी है और वर्तमान में उत्तराखंड वन संसाधन प्रबंधन परियोजना (जायका) के मुख्य परियोजना निदेशक है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से भौतिकी से एमएससी करने वाले अनूप मलिक के पिता दिल्ली पुलिस में ऑफिसर थे हालाकि उनकी स्कूलिंग सोनीपत जिले के राई के मोतीलाल नेहरू स्कूल ऑफ स्पोर्ट्स से हुई है,अनूप मलिक क्रिकेट के शानदार खिलाड़ी रहे है और उन्होंने क्रिकेट के महागुरु लाला अमरनाथ और मुश्ताक अली से न केवल क्रिकेट के गुर सीखे बल्कि कूच विहार ट्राफी में अंडर 17 ऑल राउंडर के रूप में हरियाणा का प्रतिनिधित्व भी किया,पिता पुलिस में थे तो उनके अनुशासन के चलते क्रिकेट को बाय बाय कहना पड़ा और मात्र 23 साल की उम्र में आईएफएस बन गए,इसे संयोग ही कहेंगे कि जिस दिन ये आईएफएस बने वो दिन 15 अप्रैल 1987 का दिन था यानी कि मलिक का 23वा जन्मदिन।
अनूप मलिक देश में सबसे लंबे समय तक किसी भी जायका परियोजना के सीपीडी रहने वाले एकमात्र आईएफएस अधिकारी है जो वर्ष 2014 से लगातार इस पद पर है,इस दौरान अनूप मलिक ने वन पंचायतों में आजीविका संबंधित अनेकों योजनाओं को अंजाम तक पहुंचाया। अखरोट की खेती में अभूतपूर्व काम करने वाले अनूप मलिक ने CITH कश्मीर की मदद से उत्तराखंड में उम्दा किस्म के अखरोट की बुनियाद रखी और वन क्षेत्रों में जल संचय का विस्तृत जाल बिछा कर जल स्रोतों को मजबूत आयाम दिया,प्राकृतिक खतरों और आपदा जोख़िम में कमी लाने वाले उपायों को वन क्षेत्रों में मज़बूत किया,खेती और वृक्षारोपण के बड़े बड़े प्रोग्राम चलाए।
अनूप मलिक भारत सरकार के कृषि मंत्रालय में प्लांट प्रोटेक्शन के डायरेक्टर के पद पर 5 साल से ज्यादा तैनात रहे, वर्ष 2006 से 2012 तक केंद्र में सेवा देने के उपरांत अनूप मलिक उत्तराखंड वन विभाग में सीसीएफ एचआरडी और मोनेट्रिंग रेवलुएशन रहे ,2014 से लगातार CPD जायका के पद पर है,हमेशा फील्ड पोस्टिंग में रहने वाले अनूप मलिक ने एसीएफ गोरखपुर से अपने कैरियर का सफ़र शुरू किया और 1990 में बतौर डीएफओ पहली पोस्टिंग पिथौरागढ़ में मिली इसके बाद तराई ईस्ट,हल्द्वानी,गोंडा,रायबरेली, सुल्तानपुर,लखनऊ और आगरा में भी डीएफओ रहे।
अनूप मलिक बतौर HOFF मुख्यमंत्री धामी के विज़न को धरातल पर उतरना चाहते है, जिसमें वन विभाग में टेक्नोलॉजी ड्रिवन के तहत एमआईएस और जीआईएस पद्धति पर आधारित फॉरेस्ट बाउंड्रीज का डिजिटलाइजेशन शामिल है और वन मंत्री सुबोध उनियाल के विज़न वनों में जनसहभागिता को भी मजबूत करना है,इसके अलावा मलिक की प्राथमिकताओं में वनाग्नि की रोकथाम, वन पंचायतों को आजीविका से जोड़ना,वन्यजीवों की सुरक्षा,वन्य तस्करों पर शिकंजा कसना,ईको टूरिज्म को मज़बूत करना और आय के विकल्पों से राजस्व बड़ोत्तरी का प्रयास करना महत्वपूर्ण है।