91 के मनमोहन सिंह हुए राज्यसभा से रिटायर, 91 नंबर था बेहद खास

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह राज्यसभा से रिटायर हो गए हैं. कांग्रेस के राष्‍ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार 2 अप्रैल को डॉ. मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर कहा कि अब आप राज्यसभा में नहीं होंगे और सक्रिय राजनीति से रिटायर हो रहे हैं. इसके बाद भी आपकी आवाज देश की जनता के लिए उठती रहेगी. पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने 3 अप्रैल को राज्यसभा में अपनी 33 साल लंबी संसदीय पारी समाप्त की. डॉ. मनमोहन सिंह को देश की अर्थव्‍यवस्‍था में कई साहसिक सुधारों की शुरुआत करने के लिए पहचाना जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री सिंह के जीवन में अंक 91 की बड़ी अहमियत रही है. वह अक्टूबर 1991 में पहली बार संसद के उच्‍च सदन के सदस्‍य बने थे. इसी दौरान वह 1991-96 तक पूर्व पीएम नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री रहे. यही नहीं, उन्‍होंने 91 वर्ष की उम्र में 3 अप्रैल 2024 को राज्‍यसभा से रिटायरमेंट ले लिया. अपने राजनीतिक सफर में वह 2004 से 2014 के बीच 10 साल तक देश के प्रधानमंत्री रहे. वित्‍त मंत्री रहते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने 1991 में देश की आर्थिक और औद्योगिक नीतियों की घोषणा करते हुए आर्थिक सुधारों की शुरुआत की.

मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाने पर उठे थे सवाल

पूर्व वित्‍त मंत्री सिंह के प्रयासों के चलते 1991 भारत के लिए बदलाव का साल साबित हुआ था. उनकी लाई हुई आर्थिक नीतियों के सहारे देश में तेजी से बदलाव शुरू हुआ और अर्थव्यवस्था मजबूत होती चली गई. जब 1991 में पीवी नरसिम्‍हा राव ने डॉ. मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाया तो सवाल उठे कि भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर रहे शख्स को वित्त मंत्री बनाकर क्या हासिल होगा. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के दौर में वित्त मंत्री एक आर्थिक विशेषज्ञ थे. इसके बाद कांग्रेस के खांटी नेता ही वित्त मंत्रालय संभालते आए थे.

पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के समकालीन कई दिग्गज कांग्रेसी नेता पहले वित्त मंत्री रह चुके थे. लेकिन, राव ने उन सभी की अनदेखी करके डॉ. मनमोहन सिंह को वित्‍त मंत्री बनाया. पार्टी में इस फैसले की काफी आलोचना हुई थी. हालांकि, नरसिम्हा राव ने डॉ. सिंह को वित्त मंत्री बनाकर संकेत दे दिया था कि वह देश के आर्थिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव चाहते हैं, जो कांग्रेस की सोच से अलग हो सकता है. समय के साथ ये साबित भी हुआ कि नरसिम्हा राव अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए बड़े बदलाव चाहते थे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top