देहरादून : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी के निर्णायक नेतृत्व एवं सचिव (ऊर्जा) के सहयोग तथा सकारात्मक दृष्टिकोण के फलस्वरूप यूपीसीएल उत्तराखंड राज्य को ‘ऊर्जा प्रदेश’ बनाने हेतु प्रयासरत है। विकास को गति देता उत्तराखण्ड राज्य, के विद्युत वितरण तंत्र को और अधिक सुदृढ़ एवं समृद्ध बनाने के लिये यूपीसीएल द्वारा ए०डी०बी० परियोजना के अन्तर्गत देहरादून शहर के मुख्य मार्गों की उपरिगामी विद्युत लाइनों को भूमिगत किये जाने के कार्य को शीघ्रता से पूर्ण किया जा रहा है। देहरादून शहर में भूमिगत करण के कार्यों की प्रगति का प्रबन्ध निदेशक द्वारा नित्य प्रतिदिन अनुश्रवण किये जाने के साथ-साथ साईट पर औचक निरीक्षण भी किये जा रहे हैं तथा समय-समय पर विभागीय निदेशकों तथा ए०डी०बी० प्रोजेक्ट से जुड़े सभी उच्चाधिकारियों के साथ प्रगति की समीक्षा बैठक कर आवश्यक दिशा निर्देश भी निर्गत किये जा रहे हैं। ज्ञातव्य है कि देहरादून शहर में यूपीसीएल द्वारा निदेशक (परियोजना) के अन्तर्गत भूमिगतिकरण के कार्यों के सुचारू रूप से क्रियान्वयन हेतु प्रथम चरण के कार्य के लिये निदेशक (परिचालन) के देखरेख में शहर को तीन लॉट में बांटा गया है। लॉट 1 में मुख्यतः देहरादून केन्द्रीय एवं उत्तर वितरण के क्षेत्र, लॉट 2 में दक्षिण वितरण के क्षेत्र तथा लॉट 3 में रायपुर एवं मोहनपुर के अन्तर्गत आने वाले क्षेत्रों को लिया गया है।वर्तमान में सभी लॉट के क्षेत्रीय दलों द्वारा सर्वे एवं संयुक्त सर्वे का कार्य पूर्ण करने के पश्चात् रोड कटिंग की अनुमति प्राप्त कर लाईनों के भूमिगतिकरण का कार्य चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है जिनमें रामाडा होटल से बल्लुपुर चौक एवं ट्रांसपोर्ट नगर चौक, लक्खीबाग से ग्राफिक एरा चौक, कमला पैलेस से निरंजनपुर चौक एवं शिमला बाईपास से सैंट जूड चौक आदि के साथ-साथ अन्य मार्ग भी शामिल हैं जिनमें विधानसभा, कैलाश अस्पताल, कोरेनेशन अस्पताल, बसन्त विहार, रिस्पना आदि क्षेत्र भी सम्मिलित हैं। प्रबन्ध निदेशक द्वारा सभी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि भूमिगतिकरण के कार्यों को शीघ्रता से पूर्ण करें तथा सुरक्षा मानकों को प्राथमिकता पर रखते हुये हर दिन कार्य पूर्ण होने के पश्चात् गडढ़ों, नाली आदि स्थानों की नियमित भराई करना भी सुनिश्चित करेंगे। योजना के सफल क्रियान्वयन होने से देहरादून शहर का विद्युत वितरण तंत्र यूरोपियन तथा विकसित देशों जैसा मजबूत एवं सुदृढ़ होगा।
भूमिगत विद्युत लाइनों के उपरिगामी लाइनों की तुलना में कई फायदे हैं. जिनमें शामिल हैं:
कम रखरखाव : भूमिगत केबल्स पर्यावरणीय कारकों जैसे हवा तेज बारिश और पेड़ों की शाखाओं से कम प्रभावित होते हैं। जिससे
आउटेज कम होते हैं और रखरखाव की लागत कम होती है।
कम विद्युत हानि: भूमिगत केबल्स को बेहतर इन्सुलेशन और कम प्रतिरोध के साथ डिजाइन किया जा सकता है जिससे ओवरहेड लाइनों की तुलना में ऊर्जा हानियों को कम किया जा सकता है।
सुरक्षाः भूमिगत केबल्स के साथ बिजली के खतरों जैसे इलेक्ट्रोक्यूशन और गिरी हुई पावर लाइनों से होने वाली आग का जोखिम काफी कम हो जाता है।
> सौंदर्यीकरण: पावर लाइनों के भूमिगतिकरण होने से आवासीय और शहरी क्षेत्रों में अधिक सौंदर्यपूर्ण वातावरण बनता है। भूमिगत केबल्स होने से बिजली चोरी की समस्याओं पर अंकुश लगेगा।
> दुर्घटनाओं का कम जोखिम वाहनों वन्यजीवों या निर्माण गतिविधियों द्वारा बिजली लाइनों के आकस्मिक संपर्क का जोखिम कम हो जाता है।
> पर्यावरणीय लाभ बिजली लाइनों के भूमिगतिकरण होने से पर्यावरण को भी लाभ पहुंचाया जाता है क्योंकि उन्हें ओवरहेड लाइनों के लिए आवश्यक पेड़ों की नियमित छंटाई और अन्य वनस्पति प्रबंधन की आवश्यकता नहीं होती है।