ग़ज़ब इश्क़! बालिग़ से ब्याह रचाने जा पहुंचा नाबालिग़ दूल्हा — विभाग ने पकड़ी ‘प्रीमैच्योर’ बारात

महिला सशक्तीकरण विभाग का ‘ऑपरेशन रोको-शादी’ बना बच्चों का रक्षक

अरशद मलिक

न्यूज वायरस नेटवर्क 

रुद्रप्रयाग/वासुकेदार ।सिनेमा की कहानी लगती ये सच्ची घटना, रुद्रप्रयाग जिले के कौशलपुर गांव से सामने आई है, जहां एक 17 साल का नाबालिग लड़का 19 साल की बालिग लड़की से शादी के लिए किसी हीरो की तरह उसके गांव जा धमका! चार दिन पहले ही ‘सगाई मोर्चे’ पर डेरा डालकर बैठा था, लेकिन ये इश्क़ विभाग की नज़रों से बच नहीं पाया।

जैसे ही यह जानकारी महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की विशेष निगरानी टीम को मिली, जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अखिलेश मिश्र के निर्देश पर एक्शन मोड ऑन हो गया। वन स्टॉप सेंटर की प्रमुख रंजना गैरोला भट्ट, चाइल्ड हेल्पलाइन के सुपरवाइजर सुरेंद्र सिंह, और केस वर्कर अखिलेश सिंह की संयुक्त टीम लड़की के घर पहुंची और वहां जो मिला, वह चौंकाने वाला था। “लड़का तैयार था, बस मण्डप नहीं था!”

लड़का गांव में चार दिन से ठहरा हुआ था, सगाई की तैयारियां ज़ोरों पर थीं और परिवार वालों ने हरसंभव भावुक कोशिश कर डाली — “जनाब, हमारी मर्जी से कर रहे हैं… आप क्यों रोक रहे हो?” लेकिन कानून भावना से नहीं, प्रमाण से चलता है।

टीम ने जब समझाया कि लड़के की उम्र सिर्फ 17 साल है और शादी के लिए उसकी न्यूनतम उम्र 21 वर्ष है, तो घर वालों की आंखें खुलीं। लड़की भले ही बालिग हो, लेकिन नाबालिग लड़के से शादी समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत दंडनीय अपराध है, जिसमें दो साल की सजा और ₹1 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।

काउंसलिंग नहीं, समझदारी की सीढ़ी

टीम ने दोनों परिवारों को बैठाकर काउंसलिंग की, और बताया कि 1 जनवरी 2025 से विवाह का पंजीकरण UCC के तहत अनिवार्य हो चुका है। अगर कोई भी नाबालिग विवाह दर्ज हुआ, तो सीधी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

डॉ. अखिलेश मिश्र ने बताया

“समाज में आज भी बाल विवाह को लेकर गलतफहमियां हैं। हम हर गांव, हर टोले में जाकर समझा रहे हैं कि बाल विवाह सिर्फ अपराध नहीं, भविष्य की बर्बादी है। बच्चों को बचाना ही असली समाज सेवा है।”

सामाजिक संदेश: “बेटी-बेटे को बराबर समझो, पर उम्र का लिहाज भी रखो”

इस रोमांचक लेकिन शिक्षाप्रद घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि प्रेम उम्र नहीं देखता, लेकिन कानून जरूर देखता है। समाज को चाहिए कि बच्चों की भावनाओं को दिशा दे, उन्हें सुरक्षा दे — न कि कम उम्र में रिश्तों के बोझ में धकेल दे।

महिला सशक्तीकरण विभाग रुद्रप्रयाग अब तक 17 बाल विवाह को रोक चुका है, और डॉ. अखिलेश मिश्र के नेतृत्व में यह मुहिम लगातार तेज़ हो रही है। इस अभियान ने न सिर्फ दर्जनों बच्चों का भविष्य संवारा है, बल्कि ग्रामीण मानसिकता में बदलाव की एक ठोस शुरुआत भी की है।

अब सवाल यह है – अगला ‘बाल विवाह मिशन’ किस गांव में रोका जाएगा? जवाब एक ही है — जहां भी विभाग की नजर जाएगी, वहीं ‘शादी रुक जाएगी’!

समाज से अपील है: अगर आप किसी नाबालिग की शादी की खबर पाएं, तो चुप न रहें — 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन पर कॉल करें।

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