दुनिया रहस्यों और अजीबोगरीब कहानियों से भरी पड़ी है।इस धरती पर कई ऐसी जगह हैं, जो अपने रहस्य के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इनमें एक है गुजरात में तुलसीश्याम का पहाड़ी सफर...

बिज्ञान के नज़रिए से देखें तो तुलसीश्याम गुरुत्वाकर्षण विरोध के लिए दुनिया के चुनिंदा जगहों में एक है। ऐसा माना जाता है कि तुलसीश्याम पहाड़ी पर गुरुत्वाकर्षण काम नहीं करता है। इस वजह से लोगों की गाड़ी बंद होने पर भी हैरतअंगेज तरीके से ऊपर की ओर चढ़ने लगती है। लंबे अरसे से विज्ञान के लिए यह रास्ता बड़ी पहेली बनी हुई है, जो आज तक नहीं सुलझी है।

ये राहस्यमयी घटना केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया में कई ऐसी जगहों पर आज भी होती हैं। जहां गाड़ी बंद रहने पर गाड़ी गुरुत्वाकर्षण के विपरीत चलने लगती है। तो आइए आपको हिंदुस्तान के रहस्यमयी सफर पर तुलसीश्याम की ओर ले चलते हैं….
आखिर कैसे पड़ा इस पहाड़ी का नाम – तुलसीश्याम

हिन्दू धर्म के विद्वान बताते हैं कि द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने इस स्थान पर तूल नामक आततायी दानव का वध किया था। इसलिए इस स्थान का नाम तुलसीश्याम पड़ा है। तुलसीश्याम में 3 हजार साल पुराना भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर है, जिसका निर्माण काले पत्थर से हुआ है। जिसकी बड़ी मान्यता और आस्था श्रद्धालुओं में देखी जाती है।
तुलसीश्याम जाने के लिए कहाँ कैसे पहुंचे ?

अगर आप भी इस राहस्यमयो सफर का मज़ा लेना चाहते हैं तो समझ लीजिए पूरा ब्यौरा ….. गुजरात के अमरेली और गिर सोमनाथ जिले की सीमा पर है तुलसीश्याम का धाम. यह पहाड़ी गिर राष्ट्रीय उद्यान में है। इस जगह पर गर्म पानी का एक झरना भी है, जो शारीरिक तकलीफों को ठीक करने वाली दिव्य शक्तियों के लिए भी मशहूर है ।
तुलसीश्याम पर जीरो ग्रेविटी क्यों है

अब ये भी समझ लीजिए कि ये रहस्यमयी जगहें है कहाँ कहाँ …..भारत में तुलसीश्याम, स्कॉटलैंड में द इलेक्ट्रिक बै, अमेरिका में प्रोसेर, ऑस्ट्रेलिया में ब्लैक रॉक और कैलिफोर्निया में कंफ्यूजन हिल एंटी ग्रेविटी के लिए प्रसिद्ध है। इस बारे में एक और किवदंती स्थानीय लोगों की जुबानी सुनी जाती है और वो है भी बड़ी दिलचस्प…

बुजुर्गों का दावा है कि तुलसीश्याम का रास्ता स्वर्ग की तरफ जाता है, इसके पीछे ये तर्क दिया जाता है यहां प्रकृति इंसान को अपने करीब यानि ऊपर की तरफ खींचती है… हालांकि, इस अनसुलझे रहस्य और मान्यताओं और होने वाली चमत्कारिक घटना के पीछे की प्रामणिकता का पता अभी तक नहीं चला है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है।