विशेष रिपोर्ट – फ़िरोज़ गांधी
स्कूली शिक्षा को रुचिकर बनाने के साथ बच्चों में सोच आधारित क्षमता का विकास करने के लिए अब खिलौनों की मदद ली जाएगी। शिक्षा मंत्रालय ने इसे लेकर एक पूरी योजना तैयार की है। जो स्कूलों में प्री-प्राइमरी से लेकर बारहवीं तक के पाठ्यक्रम में अब देखने को मिलेगी।
स्कूली शिक्षा को रुचिकर बनाने के साथ बच्चों में सोच आधारित क्षमता का विकास करने के लिए अब खिलौनों की मदद ली जाएगी। शिक्षा मंत्रालय ने इसे लेकर एक पूरी योजना तैयार की है। जो स्कूलों में प्री-प्राइमरी से लेकर बारहवीं तक के पाठ्यक्रम में अब देखने को मिलेगी। इसके तहत ऐसे सभी प्रमुख विषयों को खिलौना आधारित सीखने की कला से जोड़ा जा रहा है, जो अब तक बच्चों के लिए अरुचिकर रहती है या फिर उसकी पढ़ाई में वह अमूमन कमजोर रहते है।
खिलौना आधारित शिक्षा को तवज्जो
शिक्षा मंत्रालय ने अपनी इस योजना का खुलासा खिलौना आधारित शिक्षा देने को लेकर आयोजित किए गए एक वेबिनार में किया। साथ ही बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत तैयार किए जा रहे स्कूली शिक्षा के नए ढांचे में प्रत्येक स्तर पर इसे प्रमुखता से शामिल किया जा रहा है। नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) तैयार कर रही कमेटी को ऐसे विषयवस्तु को चिंहित करके उसमें खिलौना आधारित सीख को जोड़ने के निर्देश दिए गए है। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डा. राजकुमार रंजन सिंह ने इस मौके पर वेबिनार को संबोधित किया और कहा कि खिलौने की मदद से किसी भी कठिन विषय को आसानी से सीखा जा सकता है। इस कदम न सिर्फ बच्चों के बौद्धिक विकास में मदद मिलेगी, बल्कि बच्चों में खिलौनों को लेकर फिर से रुझान भी बढ़ेगा। पढाई