विशेष रिपोर्ट – आशीष तिवारी
हिन्दू मुस्लिम जाट गुर्जर दलित अगड़ा पिछड़ा और जनरव ओबीसी की राजनीति से देवभूमि बचती रही है। लेकिन आज जिस मुहाने पर चुनाव खड़ा है वहा से कांग्रेस कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती है।
केदारनाथ और चार धाम के सहारे भाजपा पहले ही फ्रंट फुट पर सवर्ण वोट बैंक पर नज़र लगाए हैं वही आध्यत्मिक राजधनी बनाने की बात कह कर आम आदमी पार्टी के केजरीवाल ने भी यही कुछ किया था लेकिन आज कांग्रेस के सबसे बड़े नेता ने उत्तराखंड में अपनी सरकार बनाने के लिए अब ब्राह्मण कार्ड का सहारा लिया है। पार्टी ने कहा है कि वह सत्ता में आई तो एक कमीशन बनाएगी। उत्तराखंड में कांग्रेस के चुनाव अभियान प्रमुख हरीश रावत ने कहा है कि मार्च में राज्य में पार्टी के सत्ता में आने पर ब्राह्मणों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए एक आयोग का गठन किया जाएगा। यहां 14 फरवरी को मतदान होना है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरदा ने मीडिआ से बात करते हुए कहा कि अगर सत्ता में आए तो ब्राह्मणों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का अध्ययन करने और निष्कर्षों के आधार पर कल्याणकारी योजनाएं शुरू करने के लिए एक आयोग का गठन करेंगे।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने पहले तीर्थ पुरोहितों (महत्वपूर्ण मंदिरों के पुजारी) के लिए 500 रुपए की पेंशन योजना शुरू की थी, लेकिन भाजपा सरकार ने इसे बंद कर दिया।कांग्रेस के दिग्गज नेता ने कहा, “हम राज्य के सभी धार्मिक केंद्रों पर भगवान परशुराम की मूर्तियां भी स्थापित करेंगे।” भगवान परशुराम एक ब्राह्मण देवता हैं। पार्टी के इस वादे की सराहना करते हुए, राष्ट्रीय ब्राह्मण युवजन सभा के अध्यक्ष भृगुवंशी पंडित आशुतोष पांडे ने कहा, “हमने अब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन करने का फैसला किया है।
अगर जरूरत पड़ी तो हम भाजपा को बेनकाब करने के लिए जुलूस भी निकालेंगे, जो ब्राह्मणों की मदद से जीती थी लेकिन उन्हें बीच में ही छोड़ दिया था। ब्राह्मण राज्य की आबादी का लगभग 10 प्रतिशत बनाते हैं।”इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह में बुधवार को ब्रह्मकमल फूल से सजी उत्तराखंड की टोपी पहनकर प्रदेश में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जनता से भावनात्मक संबंध जोड़ने का प्रयास किया।