अरशद मलिक
न्यूज़ वायरस नेटवर्क
देहरादून : सोशल मीडिया पर मनगढ़ंत और काल्पनिक कहानियां बनाकर किसी को बदनाम करने या उनके खिलाफ साजिश रचने वाले सावधान हो जाएं, क्योंकि अब उत्तराखंड में सोशल मीडिया के माध्यम से किसी को बदनाम करना बहुत भारी पड़ सकता है।पिछले दिनों उत्तराखंड सचिवालय में वायरल किए गए एक फ़र्जी लेटर की साजिश का मामला बेनक़ाब होता नज़र आ रहा है जिसके तार सम्भवतः सचिवालय की अंदरुनी साज़िश की और संकेत कर रहे है,
इसी संदर्भ में थाना कैंट में एक एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी को बदनाम करने की नीयत से एक फर्जी खबर का प्रकाशन किया गया था। इस मामले में आरोप लगाया गया है कि एक शिकायत को लेटरहेड पर दर्ज कर शासन के गलियारों में इस नीयत से फैलाया गया कि वह अधिकारी और उनके वरिष्ठ अधिकारी को बदनाम कर उनके चरित्र का हनन किया जाए।
यह साजिश रचने वालों पर उल्टी पड़ गई है। पुलिस ने साजिशकर्ता के खिलाफ मुकदमा कायम करके गहराई से जांच-पड़ताल शुरू कर दी है। जांच में उन सभी लोगों को सामने लाया जाएगा, जो सचिवालय या शहर में इस साजिश में शामिल हैं। अधिकारियों के खिलाफ षड्यंत्र रचने वाले जल्द ही बेनकाब होंगे।
सचिवालय के संबंधित अधिकारी की पत्नी ने थाना कैंट में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने बताया कि इस फर्जी खबर के कारण उनके पति और उनके परिवार को मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी है। सूत्रों के अनुसार, अधिकारी की पत्नी इस बदनामी के कारण पीड़ित हैं और उनकी मानसिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा है।
इस घटना के बाद पुलिस भी गंभीर कार्रवाई के मूड में है। सोशल मीडिया का उपयोग कर अधिकारियों को बदनाम करने और ब्लैकमेल करने वाले इनफ्लुएंसर और कथित पत्रकारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। पुलिस ने कहा है कि ऐसे किसी भी साजिशकर्ता को बेनकाब करना आवश्यक है, जो अधिकारियों के चरित्र को बदनाम कर अपने गैर-कानूनी मंसूबों को पूरा करने की कोशिश करते हैं।
पीड़िता ने मांगी सुरक्षा
पीड़िता ने पुलिस से अनुरोध किया है कि उनके परिवार और स्कूल जाने वाले बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। उन्होंने अपनी और अपने परिवार की जान-माल की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है।
सख्त कार्रवाई का आश्वासन
थाना कैंट में दी गई शिकायत के अनुसार, अधिकारी की पत्नी ने फर्जी खबर को अपने चरित्र का हनन और मानसिक आघात का कारण बताया है। पुलिस ने कहा है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
इस प्रकरण की जांच से कानून का संदेश साफ है कि झूठी और भ्रामक खबरें फैलाने वाले, चाहे वे कथित पत्रकार हों या सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर, कानून से बच नहीं सकते। जो लोग इस तरह की साजिशों में शामिल होंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह घटना सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।