विशेष रिपोर्ट – आशीष तिवारी
इस बार यूपी उत्तराखंड सहित सभी चुनावी राज्यों में दोनों बड़ी पार्टियों कांग्रेस और भाजपा ने परिवारवाद से तौबा करने का फैसला किया था । लिहाज़ा सपा और बसपा के साथ साथ आम आदमी पार्टी ने भी एक परिवार एक टिकट का फार्मूला फिट कर दिया है। उत्तराखंड की बात करें तो हरीश रावत, हरक सिंह रावत , यशपाल आर्य सहित कई बड़े नेता ऐसे हैं जो अपने बेटा बेटी को टिकट दिलाना चाहते थे। लेकिन अब जब पहली लिस्ट हमारे सामने है तो कांग्रेस की लिस्ट से कम से कम ये तो साफ है कि पार्टी याब आगे की सोच रही है।
यूपी की बजाय बात उत्तराखंड कांग्रेस की करें तो पहली सूची में तो कम से कम कांग्रेस की परिवारवाद से बचने की कोशिश नज़र आई है । इस लिस्ट में यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य को टिकट मिला है। जो पूरी लिस्ट में अपवाद है क्योंकि भाजपा में भी दोनों पिता पुत्र एमएलए रहे हैं। इस बार हल्द्वानी से सुमित हृदयेश को मौका ज़रूर दिया है।
पार्टी में करीब आधा दर्जन नेता और विधायक अपने परिवार और रिश्तेदारों के लिए टिकट मांग रहे थे , लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने आर्य परिवार के अतिरिक्त किसी को टिकट नहीं दिया है। वहीं इस लिस्ट में हरीश रावत के बेटे और बेटी का भी नाम गायब है जबकि हरक सिंह की बहू अनुकृति गुंसाई का नाम भी फिलहाल शामिल नहीं हैं।
आधा दर्जन नेता मांग रहे थे परिवार के लिए टिकट
दरअसल कांग्रेस में करीब आधा दर्जन नेता अपने परिवार के लिए टिकट मांग रहे थे. इसमें पूर्व सीएम हरीश रावत अपने साथ ही बेटे और बेटी अनुपमा रावत, जबकि पिछले सप्ताह ही कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत अपने और उनकी बहू अनुकृति गुंसाई के लिए भी टिकट मांग रहे थे. वहीं हरीश रावत के धुर विरोधी और कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत अपने और बेटे के लिए टिकट मांग रहे थे. इसके साथ ही कई नेता अपने रिश्तेदारों के लिए टिकट मांग रहे थे।