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देहरादून मेट्रो का सपना साल 2026 तक होगा साकार 

देहरादून मेट्रो प्रोजेक्ट लम्बे समय से प्रस्तावित है जिसमे काफ़ी उठा-पठक के बाद मेट्रो बोर्ड का गठन हुआ, जैसे जैसे बोर्ड और सरकार की तरफ़ से इस मामले में कोई नई सूचना जारी होती है तब-तब वो खबरें समाचार पत्रों के ज़रिये हम तक पहुँचती हैं लेकिन अब तक भी मेट्रो को सरपट दौड़ते हुए देखने को लेकर बात साफ़ नहीं हो पाई है. आख़िर कहाँ अटका है पेंच, क्यूँ मेट्रो नहीं दौड़ पाई अब तक, कब तक देहरादून वासी मेट्रो को देख पाएंगे?
जानिये सरवर कमाल के साथ इस इंटरव्यू में सारे सवालों के जवाब उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर जितेंद्र त्यागी से।

प्रश्न – अब तक देहरादून मेट्रो क्यों नहीं चल पाई, कहाँ काम अटका है?
उत्तर– मेट्रो एक कॉस्ट इंटेंसिव प्रोजेक्ट है और इनके निर्णयों में राज्य सरकार का ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार का भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहता है क्यूँकि उत्तराखण्ड मेट्रो को केंद्र से भी फंडिंग लेनी है, प्रक्रिया ये है कि राज्य सरकार की स्वीकृति के बाद प्रोजेक्ट को भारत सरकार के पास भेजा गया था वहां पर इस प्रोजेक्ट के दो-तीन प्रोसेस के चरण पूरे हो चुके हैं लेकिन इस बात पर चीज़ रुकी हुई है कि भारत में अब तक नार्मल मेट्रो का निर्माण हुआ है ये पहली बार है कि भारत ने ही इसके स्पेसिफिकेशन दिए थे जिसका नाम है मेट्रो नियो। मेट्रो और नियो मेट्रो में मुख्य अंतर टायरों का है नार्मल मेट्रो में स्टील के टायर होते हैं जबकि नियो मेट्रो में रबड़ के टायर होते हैं. देहरादून में मेट्रो नियो को एलिवेटेड चलाने का प्लान है क्यूंकि देहरादून में अंडरग्राउंड चलाने के लिए जगह कम है. ये टेक्नोलॉजी भारत में नई है तो केंद्र सरकार के स्तर पर चिंतन चल रहा है कि हम जो पुरानी मेट्रो की तकनीक है वही जारी रखें या या नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाए जो कि सस्ती भी पड़ती है. उम्मीद है जल्दी स्वीकृति मिल जायेगी।

प्रश्न- नियो मेट्रो के फ़ायदे और नुक़सान क्या-क्या हैं ?
उत्तर- नियो मेट्रो का फ़ायदा इसका कम ख़र्चीला होना है, दूसरा इसका एक बड़ा फायदा ये है कि देहरादून शहर में फ्यूचर एक्सपेंशन मे बहुत लाभदायक हो सकता है मेट्रो नियो रबड़ टायर बेस्ड होती है इसलिए ये बहुत सीधी ढलान पर चल सकती है जबकि नॉर्मल मेट्रो जो स्टील व्हील्स पर होती है वप 3 से 5 प्रतिशत चढ़ाई पर ही चढ़ पाती है उसके आगे हम उसको नहीं चढ़ा सकते, अभी हमारे प्लान के मुताबिक़ देहरादून में चढाई वाले एरिया कम ही हैं लेकिन कुछ बहुत सारे एरिया ऐसे भी हैं जहाँ तिरछी ढलाने भी हैं अगर हम भविष्य में मेट्रो का विस्तार भी करते हैं और उन स्थानों पर मेट्रो के लिए जाते हैं जहाँ जगह कुछ पहाड़ी है, चढ़ाई है या तेज़ घुमावदार रास्ते हैं तो वहां ये तकनीक बहुत फ़ायदे वाली है ये 12-13 परसेंट तिरछी और चढ़ाई वाली ढलानों पर चल सकती है इसके साथ ही 30-40 मीटर रेडियस घुमाव पर आसानी से घूम सकती है तो इन सब बातों को देखते हुए देहरादून के निकट विज़न के हिसाब से मेट्रो नियो एक अच्छी तकनीक है. नुक़सान के नाम पर सिर्फ़ इतना कहा जा सकता है कि इसकी कैपेसिटी सीमित है लेकिन वो नुक़सान हमारे लिए नहीं है क्यूंकि हमें उतनी कैपेसिटी की आवश्यकता ही नहीं है और अगले 50 सालों के पोजेशन में भी हमे उतनी कैपेसिटी की आवश्यकता नहीं होने वाली। तो कुल मिला कर मेट्रो नियो की तकनीक देहरादून फ्यूचर विज़न के हिसाब से उपयुक्त है.

                             जितेंद्र त्यागी, मैनेजिंग डायरेक्टर, उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन  

प्रश्न- आप कितना महसूस करते हैं कि देहरादून में मेट्रो की ज़रूरत आन पड़ी है?
उत्तर – देहरादून में मेट्रो  की ज़रूरत तो तबसे है जब मैंने 2017 में ज्वाइन किया था, भारत के जिन शहरों में आवश्यकता है हम उसके 5 साल, 10 साल कहीं 20 साल बाद मेट्रो बना पा रहे हैं. आप अगर दिल्ली की बात करें तो दिल्ली में पहली डीपीआर 1972 में बनी थी लेकिन हमने 1998 में जाके काम शुरू किया। ऐसे ही अगर देहरादून में भी देखें जो रोड कंजेशन है, ऐसा नहीं की देहरादून शहर में व्हीकल्स बहुत ज़्यादा हैं लेकिन रोड की कैपेसिटी है उसके हिसाब से संतुलन नहीं बन पा रहा है जगह जगह जाम लगा रहता है क्यूंकि रोड्स में एक फैक्टर होता है जिसे वी बाई सी कहते हैं जिसमे किसी भी रोड की कैपेसिटी उसकी चौड़ाई पर निर्भर करती है, देहरादून में कई रोड्स ऐसी हैं जिसकी चौड़ाई के हिसाब से वाहनों की तादाद पीक समय पर ज़्यादा हो जाती है जिस से वहां पर जाम की स्तिथि बनती है, तो मेट्रो यहाँ बहुत आवश्यक है लेकिन हम पहले ही इसको लेकर लेट हैं.

प्रश्न- प्रदेश में युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार है तो मेट्रो को लेकर उनका कितना रुझान है क्यूंकि वो जो भी काम कर रहे हैं ऐक्शन मोड में कर रहे हैं?
उत्तर – मेट्रो का प्रोजेक्ट माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने ही यहाँ से स्वीकृत कर के भारत सरकार को भेजा है, उस से पहले बहुत समय से हम इसके लिए लगे हुए थे धामी जी के आते ही उन्होंने इस प्रोजेक्ट में बहुत दिलचस्पी दिखाई और यही नहीं कि केवल भेज दिया बल्कि आगे ये लक्ष्य हासिल करने के लिए भी वो तैयार हैं उन्होंने सम्बंधित मंत्रालय को इस विषय में पत्र लिखे हैं, प्रधानमंत्री ऑफिस को भी पत्र लिखे हैं अपनी तरफ़ से वो पूरी कोशिश कर रहे हैं, क्यूंकि तकनीकी मामला है नई तकनीक से जुड़ा है तो थोड़ा समय लग रहा है पर हमे आशा है कि जिस तरह से प्रयास जारी हैं कोई न कोई निर्णय हो जाएगा।

प्रश्न- आप एक ज़िम्मेदार और ऐक्टिव अधिकारी हैं तो देहरादून मेट्रो का प्रोजेक्ट आप देख रहे हैं तो फ़िल्हाल मेट्रो को लेकर निकट भविष्य और भविष्य मे मेट्रो का परिदृश्य कैसे देखते हैं?
उत्तर- मेट्रो अल्टीमेटली अगर आप देखें तो उत्तराखण्ड में दो एरिया ऐसे हैं जहाँ बहुत विकास संभव है क्यूंकि प्लेन एरिया दो ही हैं एक देहरादून वैली का एरिया है दूसरा रुद्रपुर हल्द्वानी वाला. हमने जो देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, रूड़की, विकासनगर इन सब एरिया को मिला कर ही हमने मेट्रो पॉलिटिन एरिया घोषित कराया था जो राज्य सरकार ने पहले ही घोषित कर दिया है जिसका उद्देशय ये है कि ये अब एक क्षेत्र है जो भी विकास होगा इस पूरे क्षेत्र को ध्यान में रख कर होगा और जो मास्टर प्लान हम लोगों ने बनाया है मेट्रो का उसमे पहले फेज़ में हम देहरादून में दो कॉरिडोर दे रहे हैं उसके अलावा हरिद्वार, ऋषिकेश का कनेक्शन और फ़िर  इन दोनों कॉरिडोर्स को नेपाली फॉर्म से देहरादून का कनेक्शन वो भी उस मास्टर प्लान मे पहले ही दिखाया हुआ है. हमारा फ्यूचर विज़न यह है कि अंतिम रूप से ये सारे शहर आपस मे मेट्रो से कनेक्ट होकर के इसके बीच में जो जगह है जहाँ बहुत कम विकास है तो इसके ज़रिये वहां भी एक बड़ा और अच्छा विकास कर एक प्लान्ड सिटी का विकास कर सकते हैं.

प्रश्न- मेट्रो चलने से चार धाम यात्रा पर क्या असर पड़ेगा?
उत्तर – देहरादून मेट्रो का चार धाम यात्रा से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है क्यूंकि मेट्रो टूरिस्ट के लिए नहीं बनती मेट्रो का मुख्य उद्देश्य शहर में रहने वाले लोगो का जो कहीं दैनिक आना-जाना होता है वहां से मेट्रो की सवारी हमे मिलती है. टूरिस्ट का एक अन्य लाभ मिल सकता है जो ख़ास अवसर पर होगी लेकिन उसके बेस पर मेट्रो नहीं चल सकती। लेकिन ये ज़रूर है की हरिद्वार ऋषिकेश का कनेक्शन हो जाएगा तो जो यात्री चार धाम को आते हैं वो मेट्रो आने के बाद हरिद्वार ऋषिकेश देहरादून जैसे शहरों को देखने के लिए रुक सकते हैं.

प्रश्न- मेट्रो आने के बाद और किन-किन सैक्टर को फ़ायदा मिलेगा?
उत्तर- मेट्रो आने से शहर के आम जन को फायदा मिलता है , दूसरा फ़ायदा प्रदुषण स्तर कम हो जाता है जो लोग अभी अपनी बाइक्स, स्कूटर और कारों से चलते हैं वो मेट्रो से सफ़र करने लगेंगे, को रोज़मर्रा का सफ़र  करने वाले हैं उनका एक अच्छा आरामदायक, वातानुकूलित, सस्ता सफ़र मिलेगा, महिलाओं को मेट्रो से सफर करने के लिए सुरक्षित मोड़ मिलता है, रोड पर दुर्घटनाएं कम होती हैं.

प्रश्न- देहरादून वासियों को मेट्रो से सम्बंधित क्या मैसेज देना चाहेंगे?
उत्तर – देहरादून वासियों ने इतनी देर प्रतीक्षा की है तो मुझे उम्मीद है कि जल्दी ही ये उनका सपना पूरा होगा और जैसे ही भारत सर्कार से स्वीकृति प्राप्त होगी हम जी जान लगा कर के इस प्रोजेक्ट को पूरा कराएंगे।

प्रश्न- लगभग कब तक हम देहरादून में मेट्रो दौड़ती हुई देख सकते हैं?
उत्तर- देखिये इस साल के अंत तक भी अगर स्वीकृति मिलती है तो 2026 में हम मेट्रो को ज़रूर देख सकते हैं.

देहरादून में मेट्रो  की ज़रूरत तो तब से है जब मैंने 2017 में ज्वाइन किया था-MD, DMRC
देहरादून में चलेगी रबड़ के पहियों वाली मेट्रो नियो
मेट्रो नियो देहरादून में अधिक कारगर
मेट्रो का प्रोजेक्ट माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने ही यहाँ से स्वीकृत कर के भारत सरकार को भेजा
देहरादून में जाम और सड़क दुर्घटनाओं से मिलेगी निजात
मुख्य प्लेन शहरों को मेट्रो कनेक्ट करना फ्यूचर विज़न
देहरादून वासियों को जल्द मिलेगा आरामदायक, सुरक्षित और सस्ता सफ़र

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