तहसील दिवस और जन सुनवाई दिवस की प्रक्रिया होगी डिजिटल

देहरादून : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राष्ट्रीयव्यपी अभियान ‘प्रशासन गांव की ओर (गुड गवर्नेस) की परिकल्पना को प्रत्यक्ष रूप प्रदान करने के उद्देश्य से उत्तराखण्ड राज्य में भी लोकहित में जन समस्याओं का त्वरित निस्तारण कर सुदृढ़ सुशासन व्यवस्था के निर्माण हेतु मुख्यमंत्री जनसमर्पण दिवस (तहसील दिवस) का डिजिटली निर्माण कर पहल की गयी है। मुख्यमंत्री जनसमर्पण दिवस के तहत पूर्व में मैनुअल होने वाले तहसील दिवस एवं जन सुनवाई दिवस में प्राप्त जन समस्याओं के स्थानीय स्तर पर प्रभावी एवं संतोषजनक निस्तारण एवं अनुश्रयण हेतु उक्त दिवसों की सम्पूर्ण प्रक्रिया को डिजिटल किया जायेगा। जिससे भविष्य में उक्त पोर्टल राज्य के लिये निम्न कारणो से गेम चेंजर साबित हो सकता है। 1. सुलभता और पहुँच डिजिटलीकरण से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों के लोग भी आसानी से अपनी समस्याओं और शिकायतों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से दर्ज कर सकते हैं। इससे तहसील दिवस में भागीदारी बढ़ेगी।

2. समय की बचत लोगों को तहसील कार्यालयों में लंबी कतारों में खड़े होने की आवश्यकता नहीं होगी। वे अपने घर से ही ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं और अपनी शिकायतों की स्थिति को स्वयं उपस्थित होकर एवं पोर्टल के माध्यम से जान सकते है, इससे समय की बचत होगी और प्रशासनिक प्रक्रियाएँ तेजी से पूरी होंगी।

3. पारदर्शिता डिजिटल प्लेटफॉर्म पर शिकायतों की स्थिति को ट्रैक करना और उनकी प्रगति की जानकारी प्राप्त करना आसान होगा। इससे प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार सम्भावनायें न्यूनतम होगी।

4. डेटा संग्रह और विश्लेषण- डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एकत्रित डेटा का विश्लेषण करके प्रशासनिक समस्याओं और उनकी प्राथमिकताओं को समझना आसान होगा। इससे भविष्य में योजनाओं और नीतियों को बेहतर ढंग से तैयार किया जा सकेगा।

5. बेहतर सेवा वितरण- डिजिटलीकरण से प्रशासनिक सेवाओं की पहुंच अधिक कुशल और समय पर होगी, शिकायतों के समाधान की प्रक्रिया को ऑटोमेट किया जा सकता है, जिससे जन मानस त्वरित सहायता प्राप्त कर सकेंगे।

6. लागत में कमी डिजिटलीकरण से कागजी कार्य और भौतिक संसाधनों की आवश्यकता कम होगी, जिससे प्रशासनिक लागत में कमी आएगी।

7. रिकॉर्ड प्रबंधन डिजिटल प्रणाली में शिकायतों और उनके समाधानों का रिकॉर्ड सुरक्षित और संगठित तरीके से रखा जा सकेगा। इससे भविष्य में शिकायतों का संदर्भ लेना और पुरानी दर्ज शिकायतों की स्थिति का पता लगाना आसान होगा, व अधिकारियों की कार्यशैली में सुधार परिलक्षित होगा।

8. सशक्तिकरण- डिजिटल प्लेटफॉर्म से लोग अधिक सशक्त महसूस करेंगे क्योंकि वे अपनी शिकायतों को सीधे उच्च अधिकारियों तक पहुँचा सकते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान तेजी से प्राप्त कर सकते हैं।

9. सुदृढ सुशासन व्यवस्था का निर्माण डिजिटल प्लेटफॉर्म पर शिकायतें और उनकी स्थिति सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होने से भ्रष्टाचार की संभावनाएं कम हो जाती हैं क्योंकि हर चीज रिकॉर्ड में होती है और निगरानी के लिए उपलब्ध होती है। अधिकारियों की कार्यक्षमता और समय पर शिकायतों के निवारण की मॉनिटरिंग की जा सकती है। यदि किसी अधिकारी की कार्यक्षमता संतोषजनक नहीं है. तो उसे सुधारने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं।

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