एक शानदार शादी , एक यादगार जश्न और शानो शौकत के साथ वैवाहिक कार्यक्रमों का आयोजन हो ऐसा हर युवक युवती का सपना होता है। लोग अपनी हैसियत से ज्यादा बढ़कर शादी ब्याह में खर्च करते हैं , मेहमानों की मेहमान नवाजी और सजावट के साथ-साथ खानपान में भी बेशुमार दौलत खर्च करते हैं। ताकि आने वाले मेहमान उनकी शादी और उनके लाइफस्टाइल से प्रभावित हो
लेकिन हिंदुस्तान में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो शादी विवाह को एक दिखावा मानते हैं , पैसे की बर्बादी मानते हैं और बेहद सादगी और परंपरागत तौर तरीके के साथ सात फेरे लेते हैं। हमारी यह खबर भी ऐसे ही मिसाल कायम करने वाली डॉक्टर की है , जो हैसियत से तू काफी मालदार है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि वह अपनी दुल्हनिया को लेने किसी महंगी गाड़ी में नहीं बल्कि बैलगाड़ी में बारात लेकर दरवाजे में पहुंचे। इस तरह की अनोखी बारात का जिक्र अब सोशल मीडिया में खूब हो रहा है।
बैलगाड़ी पर बारात ले जाने वाले डॉक्टर राजा धुर्वे का कहना है कि सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने व महंगाई के दौर में सादा जीवन उच्च विचार का संदेश देने का इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता था.
आजकल के शादी समारोह बेहद खर्चीले और दिखावे वाले हो गए हैं. इसमें न तो किसी को महंगाई की फिक्र होती है और ना पर्यावरण की और न संस्कृति की. लेकिन बैतूल में एक डॉक्टर ने समाज को एक अनूठा संदेश देने की कोशिश की है. उन्होंने अपनी शादी का समारोह गांव में आयोजित किया. उनकी बारात बैलगाड़ी से निकली. इस डॉक्टर का कहना है कि अपने सामाजिक-संस्कृतिक मूल्यों (Social Cultural Value) को सहेजने और महंगाई के दौर में सादा जीवन उच्च विचार का संदेश देने का इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता था.
बैलगाड़ी से बारात निकालकर क्या संदेश दिया
बैलगाड़ी से बारात लेकर जाने वाले डॉक्टर का नाम राजा धुर्वे है. वो बैतूल जिले के चिचोली ब्लॉक के आदिवासी बाहुल्य गाँव असाढ़ी के रहने वाले हैं. डॉ राजा धुर्वे ने दुल्हे राजा के अवतार में समाज को कभी ना भूलने वाला संदेश दिया.अपनी दुल्हनिया को लेने के लिए वो सजी-धजी बैलगाड़ी में बारात लेकर निकले.