प्रकृति की बनाई हुई अगर दुनिया की सबसे कोई जटिल चीज है तो वह शायद मानव मस्तिष्क ही है. इस पर कई गहन शोध होने के बाद भी अभी तक हमें इसके बारे में केवल कुछ ही जानकारी मिल सकी है. चौंकाने वाली बात लगती है, लेकिन नए अध्ययन में वैज्ञानिकों को पता चला है कि हमारे मस्तिष्क का तापमान जो समझा जाता रहा है उससे कहीं अधिक बदलता है. इस अध्ययन से कई धारणाओं के साथ यह धारणा भी टूटी है कि शरीर और मस्तिष्क का तापमान एक ही रहता है. यह खोज मस्तिष्क संबंधी रोगों और व्याधियों के निदान और उपचार में बहुत सहायक हो सकती है.
कितना होता है तापमान ?
इस अध्ययन में यह भी पाया गया है कि मस्तिष्क के दैनिक तापमान के चक्र का मस्तिष्क की चोटों से उबरने का गहरा संबंध है. पाया गया है कि मानव मस्तिष्क के तापमान में ज्यादा ही बदलाव आते हैं और यह एक सेहतमंद दिमाग की निशानी हो सकती है. जहां पुरुष और महिला दोनों के स्वस्थ शरीर का तापमान 37 डिग्री सेंटीग्रेड या 98.6 डिग्री फारेनहाइट माना जाता है,
लेकिन पाया गया है कि मानव का औसत तापमान 38.5 डिग्री सेंटीग्रेड या 101.3 डिग्री फारेनहाइट होता है और उसकी गहराई में कई बार यह तापमान 40 डिग्री सेंटीग्रेड या 104 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच जाता है. ऐसा विशेष तौर पर महिलाओं के साथ ज्यादा होता है कि उनके मस्तिष्क तापमान दिनभर पुरुषों की तुलना में ज्यादा होता है.
पहले क्या होता था ?
मानव मस्तिष्क की पिछली पड़तालों में दिमाग की चोट लगे वाले गंभीर मरीजों से मिले आंकड़ों पर निर्भरता ज्यादा रहती थी, जहां दिमाग पर सीधी निगरानी की जरूरत ज्यादा हुआ करती थी. लेकिन हाल ही में मस्तिष्क पर निगरानी की नई स्कैनिंग तकनीक सामने आई जिसे मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (MRS) कहते हैं. इस मस्तिष्क को बिना खोले ही उसके अंदर के तापमान की जानकारी मिल सकती है.
तापमान के लिए उपयोग नहीं
लेकिन अजीब बात यह है कि एमआरएस को अभी तक मस्तिष्क के तापमान में बदलाव के अध्ययन के लिए उपयोग में ही नहीं लाया गया था. यूके के कैम्ब्रिज में मेडिकल रिसर्च काउंसिल (MRC) लेबोरेटरी फॉर मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के वैज्ञानिकों के नए अध्ययन में पहली बार स्वस्थ मस्तिष्क के तापमान का 4डी मैप बनाया है.