एक मीडिया रिपोर्ट की खबर है कि ऑक्सफैम की रिपोर्ट कहती है, सामान्य वर्ग के मुकाबले अनुसूचित जाति के लोगों के पास 1 फीसदी से कम और अनुसूचित जनजाति वर्ग के मात्र 2 फीसदी लोगों के पास कंप्यूटर या लैपटॉप हैं. जी हाँ ये मौजूदा आंकड़े एक रिपोर्ट पर आधारित है।
तकनीक को अपनाने में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन इसके इस्तेमाल को लेकर अभी भी भारत में महिला और पुरुष के बीच अंतर दिखाई दे रहा है. इसका खुलासा ऑक्सफैम इंडिया की सोमवार को जारी हुई रिपोर्ट में किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में जाति, धर्म, जेंडर और भौगोलिक स्थितियों आधार पर समानताएं बढ़ रही हैं. इसका असर डिजिटल जगत में नजर आ रहा है. इसका एक उदाहरण मोबाइल यूजर्स की संख्या से पता चलता है.रिपोर्ट के मुताबिक देश में 61 फीसदी पुरुष मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन महिलाओं का आंकड़ा चौंकाता है. देश में मात्र 31 फीसदी महिलाओं के पास मोबाइल हैं. इंडिया इनईक्वैलिटी रिपोर्ट 2022 में जाति वर्ग आधार पर भी तकनीक की पहुंच को समझाया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, सामान्य वर्ग के 8 फीसदी लोगों के पास कंप्यूटर या लैपटॉप है.
रिपोर्ट कहती है, सामान्य वर्ग के मुकाबले अनुसूचित जाति के लोगों के पास 1 फीसदी से कम और अनुसूचित जनजाति वर्ग के मात्र 2 फीसदी लोगों के पास कंप्यूटर या लैपटॉप हैं. इतना ही नहीं, वेतन भोगी और बेरोजगारों में भी फर्क साफ देखा जा सकता है. वेतन पाने वाले 95 फीसदी स्थायी कामगारों के पास मोबाइल है, वहीं, 50 फीसदी बेरोजगार ऐसे भी हैं जिनके पास मोबाइल की सुविधा नहीं है.रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण हिस्से में कम्प्यूटर उपकरणों का इस्तेमाल घटा है. महामारी से पहले करीब 3 फीसदी ग्रामीणों के पास कम्प्यूटर था, 2021 में यह आंकड़ा 1 फीसदी ही रह गया. इतना ही नहीं, सितंबर 2020 में लॉकडाउन के दौरान देश के पांच राज्यों में रैपिड असेसमेंट सर्वे किया गया. सर्वे में सामने आया कि 82 प्रतिशत माता-पिता को अपने बच्चों के लिए डिजिटल शिक्षा अपनाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा. निजी स्कूलों में सिग्नल और इंटरनेट स्पीड सबसे बड़ी समस्या बनी.