आहार ही हमारी औषधि है : डॉ खादर वली

देहरादून : आहार ही हमारी औषधि है। पिछले सौ सवा सौ साल से अंग्रेजों ने हमारा खाना खराब कर दिया। हजारों सालों से हम सेहत के अनुकूल भोजन खा रहे थे। उन्होंने हमें चटक मटक स्वाद का भोजन खिलाकर बीमार कर दिया और अब बहुराष्ट्रीय कंपनियों की दवा खिलाकर हमारा शरीर खोखला कर रहे हैं। इससे बचाव का एकमात्र उपाय श्रीअन्न का भोजन है। यह कहना है देश के जाने माने आहार विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ खादर वली का। डॉ खादर आज यहाँ इंडियन पब्लिक स्कूल में आयोजित तीन दिवसीय मिलेट्स महोत्सव के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन अवसर ट्रस्ट ने किया था। डॉ खादर ने कहा कि पिछले 30 सालों से हम मिलेट्स (श्रीअन्न) को लेकर लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। हमारे पूर्वजों ने हमें बताया है कि स्वास्थ्य ही धन है। विडम्बना यह है कि हम धन कमाने की अंधी दौड़ में अपने स्वास्थ्य को भूलते जा रहे हैं। नतीजतन शुगर, वीपी से लेकर कैंसर जैसी भयानक बीमारी की चपेट में आते जा रहे हैं। इसका एकमात्र उपाय श्रीअन्न का नियमित सेवन है। हम धीरे – धीरे प्रकृति से भी दूर होते जा रहे हैं और कष्टमय जीवन जी रहे हैं। हमने सूर्य नमस्कार करना छोड़ दिया है जबकि हमें निरोग रखने में सूर्य नमस्कार की अहम भूमिका है। आज भारत सरकार ने श्रीअन्न को अपनी वरीयता सूची में शामिल कर लिया है, यह अच्छी बात है। हम देर से जग रहे हैं लेकिन दुरुस्त रास्ते पर हैं।

उन्होंने कहा कि निरोग रहने के लिए हमें अपनी जीवन शैली बदलनी होगी। हम श्रीअन्न को अपनाएंगे तभी देश की भावी पीढ़ी को बेहतर और खुशहाल जीवन दे सकेंगे। डॉ खादर ने कहा कि मिलेट्स को लेकर समाज में जागरूकता फैलाने की जरूरत है। एक किलो चावल महज पांच लोगों का पेट भर सकता है जबकि एक किलो श्रीअन्न दस लोगों को तृप्त कर सकता है। श्रीअन्न हम भारतीयों का भोजन रहा है। भौतिकता की चकाचौंध में आकर हमने अपनी सेहत बिगाड़ ली है। उन्होंने कहा कि अब विकसित देश भी श्रीअन्न को हेल्दी फूड, सुपर फूड और फ्यूचर फूड कहने लगे हैं। इसलिए मैगी, नूडल्स, पिज्जा खाने की आदत छोड़िए और श्रीअन्न को अपने भोजन में शामिल कीजिए। श्रीअन्न से इडली, डोसा, पकौड़ी, नूडल्स, पास्ता, पराठा, रोटी, चावल, खिचड़ी सबकुछ बनाया और खाया जा सकता है।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए अवसर ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष, पूर्व सांसद डॉ आर के सिन्हा ने कहा कि भारत सरकार श्रीअन्न के क्षेत्र में अच्छा काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने मिलेट्स को श्रीअन्न का नाम दिया है। देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों में श्रीअन्न के क्षेत्र में काम किया जा रहा है। सरकार किसानों को प्रेरित कर रही है और अनुदान भी दे रही है। इसकी खेती में चावल, गेहूं से कम मेहनत करनी पड़ती है और मुनाफा ज्यादा होता है। इसकी खेती में पानी की कम खपत होती है और खाद, कीटनाशक की जरूरत नहीं पड़ती है।

इससे पहले वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री राम बहादुर राय ने कहा कि पिछले तीन दिनों में खानपान के प्रति हमारी समझ बढ़ी है। मिलेट्स महोत्सव का यह अभियान समाज के हित में है। इस तरह का वर्कशॉप होते रहना चाहिए। समारोह के आखिर में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किया गया।


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