ब्रितानी हुकूमत में अंग्रेज हुक्मरान देसी राजाओं को भोग-विलासी, जरूरत से ज्यादा पैसा उड़ाने वाले, अनावश्यक अमीरी का प्रदर्शन करने वाले, सनकी और औरतबाज समझते थे. पटियाला और कपूरथला के राजाओं के नाम उनमें जरूर लिए जाते थे. खासकर पटियाला, कपूरथला और धौलपुर के राजाओं के बीच काफी दोस्ती भी थी. लेकिन इन तीनों राजाओं से एक बार ब्रिटिश हुकूमत नाराज हो गई. उन पर बैन लगा दिया गया. उन्होंने वायसराय की बीवी को साड़ी पहना दी थी. और ये फोटो ना जाने कैसे ब्रिटेन के एक टैबलॉयड में छप भी गई. इसके बाद तहलका मच गया.
राजाओं की शानो शौकत ही अलग थी
जब वायसराय लार्ड कर्जन भारत आए तो कपूरथला, पटियाला और धौलपुर के राजा नए वायसराय और उनकी पत्नी के करीबी बन गए. लेकिन एक घटना ने उनकी ये दोस्ती खत्म कर दी.हुआ ये कि एक बार तीनों राजाओं ने शिमला में मिसेज कर्जन को राजिंदर सिंह ने भव्य महल में डिनर पर आमंत्रित किया. खाने से पहले मिसेज कर्जन ने पूरे भारत में जेवरों के लिए प्रसिद्ध पटियाला राजघराने के जेवर देखने की इच्छा जाहिर की. उनकी इच्छा तत्काल पूरी की गई.श्रीमती कर्जन ने मोतियों का कीमती हार (जिसका लॉयड कंपनी ने लाखों का बीमा कर रखा था) और दुर्लभ नीले हीरों से जड़ा मुकुट पहना. ये सभी पटियाला राज्य की धरोहर माने जाते थे. तब महाराजा पटियाला यानि राजिंदर सिंह ने कहा, “ये गहने तो साड़ी पर ही जचेंगे. क्या आप मेरी दादी की साड़ी पहनना चाहेंगी.” तीनों राजाओं ने लेडी कर्जन को साड़ी पहनने को कहा
अभिजात वर्ग की शायद ही कोई महिला इस प्रस्ताव को ठुकराती. इसमें एक तरह का कौतूहल भी था. भारतीय रानी जैसी दिखने की उत्सुकता भी. लेडी कर्जन ने सोने की जड़ी वाली साड़ी पहनी. फिर इसके ऊपर पटियाला राजघराने के जेवरात पहने. वह बेहद आकर्षक लग रही थीं. इस पल को यादगार बनाने के लिए उन तीनों युवा राजाओं ने प्रस्ताव रखा कि क्यों ना इसकी एक तस्वीर ली जाए.संयोग से वहां उस समय प्रसिद्ध फोटोग्राफर लाला दीनदयाल भी बतौर मेहमान मौजूद थे. उन्होंने यादगार फोटो खींची. ये उन तीनों राजाओं का दुर्भाग्य था कि ये तस्वीर ब्रिटेन के एक टैबलॉयड अखबार में छप गई. ब्रिटेन के लोगों के लिए भारतीय रानी की पोशाक में वायसराय की बीवी की फोटो ने तहलका मचा दिया. इसे लेकर लॉर्ड कर्जन से पूछताछ भी हुई.
कर्जन को तीनों राजाओं पर बहुत गुस्सा आया
लॉर्ड कर्जन को बहुत गुस्सा आया. उसने इन तीनों राजाओं के शिमला में घुसने पर पाबंदी लगा दी. दूसरे राजाओं से भी कह दिया गया कि अब वो शिमला तभी आ पाएंगे जब इसके लिए अनुमति लें. पटियाला के महाराजा राजिंदर सिंह को ये बात बहुत नागवार गुजरी कि अंग्रेज कैसे उन पर ये पाबंदी लगा सकते हैं. कर्जन के रवैये से आहत होकर उन्होंने शिमला से 60 किलोमीटर दूर चैल नामक गांव में अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाई.
समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ये जगह अब देश के सबसे प्रसिद्ध हिल स्टेशन में तब्दील हो चुका है. राजा ने वहां दुनिया की सबसे ऊंची क्रिकेट पिच बनाई, जहां ब्रिटिश, ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय क्रिकेटर आकर क्रिकेट का आनंद लेते थे. यहां से कैलाश ग्लेशियर और हिमालय की चोटियों का आकर्षक दृश्य नजर आता है. तो इस तरह चैल के बारे में जब चर्चा चले तो ये जरूर जान लें कि ये ऐसा हिल स्टेशन है जो एक भारतीय राजा ने वायसराय से नाराज होकर बनवाया था. कपूरथला के महाराजा जगतजीत सिंह ने शिमला से सौ किलोमीटर दूर मसूरी में शानदार हवेली बनवाई. मसूरी भी अंग्रेजों का प्रिय हिल स्टेशन था. जगतजीत की हवेली फ्रांसीसी आर्किटेक्ट से प्रेरित थी. इसके भीतर एक से एक नायाब चीजें और वास्तुशिल्प था. मौज मस्ती के साधे साधन मौजूद थे.