कश्मीरी महिलाएं कान में मंगलसूत्र क्यों पहनती हैं  ? 

भारत विविधताओं से भरा देश है। यहां अलग-अलग जाति और धर्म के लोग रहते हैं। हर किसी के अपने अलग रीति–रिवाज और परंपराएं हैं। हिंदू धर्म में शादीशुदा महिलाएं गले में मंगलसूत्र पहनती हैं। उसे पति की लंबी उम्र के प्रतीक के रूप में पहना जाता है। लेकिन कश्मीर में महिलाएं एक मंगलसूत्र अपने कान में भी पहनती हैं। वहीं कुछ इसे हाथ या उंगली में भी पहनती हैं। लेकिन वह ऐसा क्यों करती हैं? चलिए जानते हैं।

बाजार में गले के मंगलसूत्र की कई डिजाइन मौजूद हैं। यहां आपको ब्रेसलेट और अंगूठी नुमा मंगलसूत्र भी मिल जाते हैं। वहीं कुछ लॉन्ग इयररिंग जैसे मंगलसूत्र भी देखने को मिलते हैं। बाकी लोग भले इन्हें फैशन के तौर पर पहनें लेकिन विवाहित कश्मीरी महिलाएं इन्हें रीति रिवाज के तहत पहनती हैं। कान में पहने जाने वाले इस मंगलसूत्र को डेजहूर (Dejhoor) कहा जाता है। यह डेजहूर कश्मीरी पंडित परिवार की विवाहित महिलाएं पहनती हैं।

डेजहूर का एक नाम अथ भी है। यह महीन सी सोने की एक चेन होती है जिसमें एक लॉकेट भी होता है। जब किसी कश्मीरी महिला की शादी होती है तो उसे अथूर पहनाया जाता है। अथूर एक लाल रंग का धागा होता है। इसे बाद में दुल्हन सोने की चेन यानी डेजहूर से बदल लेती हैं। डेजहूर का लॉकेट षटकोण शेप का होता है। इसमें शिव पार्वती की छवि होती है। यह शुभ विवाह का प्रतीक माना जाता है।

वैसे तो अधिकतर कशमीरी महिलाएं डेजहूर को पारंपरिक रूप से कान के अंदर छेद कराकर पहनती हैं। लेकिन अब कई इसे बतौर इयररिंग्स पहनने लगी हैं। शादीशुदा महिलाएं इन्हें कभी भी अपने कान से उतरती नहीं हैं। पति के निधन के बाद भी इन्हें पहने रहना होता है। इस डेजहूर के अब मार्केट में बहुत से डिजाइन मौजूद हैं। यह अब सिंपल चेन के अलावा डिजाइनर लटकन में भी मिलता है। आप इन्हें इयररिंग्स के साथ या फिर अलग से कैरी कर सकते हैं।

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