आप जब भी सार्वजनिक वाहन, अपनी कार या बाइक से कहीं जाने के लिए बाहर निकलते होंगे तो आपने ध्यान दिया होगा कि सड़क काले रंग की होती है. क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ज्यादातर सड़कें काले रंग की ही क्यों होती हैं? दरअसल, सड़क बनाने के लिए छोटे-छोटे पत्थरों की जरूरत पड़ती है. इन पत्थरों और बाकी सामग्री को आपस में जोड़े रखने के लिए मिश्रण में एस्फाल्ट नाम का एक पदार्थ मिलाया जाता है. इस एस्फाल्ट को आम बोलचाल में डामर या कोलतार या तारकोल कहते हैं.
कोलतार प्राकृतिक तौर पर काले रंग का ही होता है. ऐसे में एस्फाल्ट मिक्स करके बनाई जाने वाली सभी सड़क काले रंग की हो जाती हैं. वहीं, आयरन के जाल के साथ सीमेंट और कंक्रीट की सड़कें काली नहीं होती हैं. आजकल टाउनशिप के अंदर की ज्यादातर सड़कें सीमेंट, कंक्रीट और सरिया के जाल से ही बनाई जाती हैं, क्योंकि ये तारकोल मिक्स से बनी सड़कों के मुकाबले ज्यादा चलती हैं. वहीं, कुछ जगहों पर अब सीमेंट की ब्रिक्स का भी सड़क बनाने में इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे बनी सड़कों में टूट-फूट या गड्ढा होने पर मरम्मत में ज्यादा मेहनत और खर्चा नहीं आता है. इस तरह की सड़कें मुंबई के कई इलाकों में नजर आती हैं.
क्या होता है रोड कोलतार
रोड टार को कोलतार, तारकोल और डामर के तौर पर भी पहचाना जाता है. ये एक चिपचिपा काला पदार्थ है, जिसका इस्तेमाल सड़कों और अन्य सतहों को पक्का व मजबूत बनाने के लिए किया जाता है. यह कच्चे तेल को रिफाइन करने पर बनने वाले उत्पाद को बजरी और रेत जैसी सामग्रियों के साथ मिलाकर बनाया जाता है. रोड टार की संरचना विशिष्ट फार्मूला और उपयोग के आधार पर अलग होती है. फिर भी आमतौर पर इसमें हाइड्रोकार्बन और दूसरे रसायनों का मिश्रण होता है.
तारकोल का क्या है इतिहास
रोड तारकोल का इतिहास मेसोपोटामिया और मिस्र की प्राचीन सभ्यताओं से हजारों साल पुराना है. इन सभ्यताओं ने जलरोधी नौकाओं और इमारतों समेत कई उद्देश्यों के लिए प्राकृतिक डामर का इस्तेमाल किया. प्राचीन रोम में सड़कों और दूसरी सतहों को पक्का करने के लिए नेचुरल एस्फाल्ट का इस्तेमाल किया जाता था. हाल के इतिहास में औद्योगिक क्रांति के बेहतर और टिकाऊ सड़कों को पक्का बढ़ने के साथ रोड कोलतार का इस्तेमाल ज्यादा शुरू हो गया. आज सड़कों, पार्किंग और कई दूसरी सतहों में तारकोल का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है.