अभिनेत्री सना मकबूल और अंश शेखावत पहुंची परमार्थ निकेतन

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर लिया आशीर्वाद

पर्यावरण संरक्षण, प्रकृति, संस्कृति व संस्कारों के संवर्द्धन हेतु किया प्रेरित

ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने अन्तर्राष्ट्रीय माउंट एवरेस्ट दिवस के अवसर पर प्लास्टिक मुक्त पर्यटन, तीर्थाटन और पर्वतारोहण का संदेश देते हुये कहा कि दुनिया के इस नायाब खजाने को जीवंत व जागृत रखने के लिये इस पर एकत्र हो रहे प्लास्टिक कचरे पर रोक लगानी होगी।स्वामी जी ने कहा कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई कर पर्वतारोहियों ने कई नये रिकॉर्ड बनाये हैं, साथ ही हिमालय की यह चोटी अपने आप में प्रकृति व परमात्मा का एक अद्भुत रिकॉर्ड है। दुनिया का यह सबसे ऊँचा पर्वत, भारत का सरताज व संरक्षक भी है। हिमालय की गोद में भारत की आत्मा बसती है। हिमालय ने भारत के प्राकृतिक सौन्दर्य एवं सांस्कृतिक विरासत को संजो कर रखा है परन्तु अब हिमालय के अस्तित्व की बात है। हिमालय है तो हम हैं और हिमालय है तो गंगा है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि दुनिया की किसी भी पर्वत श्रृंखला में समाज को जीवन, साहस और समृद्धि प्रदान करने की शक्ति नहीं है, जितनी हिमालय के पास है। हिमालय ने जनसमुदाय के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। भारत को आकार देने में हिमालय का महत्वपूर्ण योगदान है। हिमालय का संबंध भारत से ही नहीं बल्कि भारत की आत्मा से है। हिमालय भारत की भौतिक समृद्धि, दिव्यता, प्राकृतिक भव्यता, सांस्कृतिक सौंदर्य की एक पवित्र विरासत है जिसने भारतीय मूल्यों को अपने में सहेज कर रखा है। हिमालय लगभग 5 करोड़ से अधिक आबादी को आवास, भोजन और सुरक्षा प्रदान करता है इसलिये अब हिमालय सहित अन्य सभी पर्वत श्रृंखलाओं के अस्तित्व को बनाये रखने के लिये मिलकर कदम बढ़ाने होंगे।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने अभिनेत्री व मॉडल सना मकबूल और अंश शेखावत को फिल्मों व सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश प्रसारित करने हेतु प्रेरित किया। स्वामी जी ने कहा कि फिल्में व कलाकार दोनों ही विशेषकर युवाओं कि रोलमॉडल होते हैं इसलिये यह जरूरी है कि ऐसी फिल्मों का निर्माण हो जिससे समाज में वैचारिक प्रदूषण न फैले।

स्वामी जी ने कहा कि आज संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस भी है। आज उन सभी शांति सैनिकों की बहादुरी और प्रतिबद्धता को स्वीकार करने का दिन है जिन्होंने शांति की खोज में अपने जीवन का बलिदान कर दिया। इस वर्ष की थीम ’’भविष्य के लिए फिट और एक साथ बेहतर निर्माण’’ वास्तव में वर्तमान समय में इसी की जरूरत है कि हम सभी संकटों व संघर्षों से उपर उठकर एक समृद्ध दुनिया के निर्माण हेतु अपनी-अपनी भूमिकाओं को स्वीकार करें और एक बेहतर भविष्य का निर्माण को बढ़ावा दें।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि यह समय विश्व शांति और सुरक्षा को बनाए रखने व बहाल करने की प्रतिबद्धता हेतु एकजुट होने का है। यह समय संघर्ष से शांति की ओर बढ़ने का है ताकि सभी को एक समान, न्यायपूर्ण और टिकाऊ दुनिया व भविष्य प्राप्त हो सके। साध्वी जी ने कहा कि सभी राष्ट्र व संगठन सभी के लिए बेहतर भविष्य का निर्माण चाहते हैं इसलिये सभी को मिलकर एकजुट होकर प्रयास करना होगा ताकि उसके परिणाम भी बेहतर प्राप्त हो सके।

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