हरदा ने बलूनी के बहाने प्रधानमंत्री मोदी और उत्तराखंड मुख्यमंत्री धामी पर निशाना साधा

ये राजनीति है , पहाड़ की सियासत वो भी खांटी कांग्रेसी पंडित हरीश रावत की धारदार राजनीति , जिसके मायने बड़े बड़े पोलिटिकल गुरु भी बड़ी होशियारी से निकलते हैं।अब ताज़ा वाकया ही समझने को काफी है।दरअसल, इगास बग्वाल को लेकर राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी की कोशिशों की तारीफ करते हुए हरीश रावत ने कहा कि बलूनी ने अपने गांव में इगास मनाया जिसके लिए वह उनको बधाई देते हैं, साथ ही इगास को सुर्ख़ियों में लाने का सराहनीय कार्य करना भी प्रशंसनीय है। हरीश रावत ने इगास और भैलो खेलने से अपने 30-32 साल पुराने संस्मरण को याद करते हुए कहा कि जब वे अलमोड़ा-पिथौरागढ़ के सांसद थे तब टिहरी विकास परिषद के लोगों ने बग्वाल में शामिल होने और भैलो खेलने के लिए आमंत्रित किया था।रावत ने बलूनी के ‘इगास उत्तराखंड की दशा बदल देगा’ वाले बयान पर आश्चर्य प्रकट करते कहा कि ऐसा लगता है कि आजकल भाजपा में कौन कितनी ऊँची फेंक पाए प्रतियोगिता चल रही है जिसमें अब राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी भी कूद पड़े हैं। हरदा ने आरोप लगाया कि एक तरफ, मौजूदा भाजपा सरकार कांग्रेस के जमाने में शुरू की गई ‘मेरा गांव-मेरा धन योजना’ से लेकर ‘फूलदेई-छम्मादेई का त्योहार’ जैसी उत्तराखंड के सांस्कृतिक वैभव से जुड़ी योजनाएं बंद कर चुकी है, दूसरी तरफ चुनावी वर्ष में भाजपा सांसद अनिल बलूनी इगास से उत्तराखंड की दशा बदल जाएगी का दावा कर रहे लेकिन यह नहीं बता रहे कि पहाड़ के गांवों से पलायन कैसे रूकेगा और रिवर्स पलायन कैसे होगा?

रावत ने बलूनी पर बड़ा हमला बोलते कहा कि यूँ तो चुनावी वर्ष में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार चमत्कारी घोषणाएं कर रहे हैं लेकिन अब सबसे ऊँची फेंक प्रतियोगिता में कूदे बलूनी ने इतनी ऊँची फेंक दी कि मुख्यमंत्री चाहे जितना जोर लगा लें इसकी बराबरी नहीं कर पाएंगे और प्रधानमंत्री मोदी भी शायद इतना न फेंक पाएँ। रावत ने कहा कि भाजपा में यह प्रतियोगिता चल रही है कि कौन कितना ऊँचा फेंक पाए और सांसद अनिल बलूनी को इस में शामिल होते देख अच्छा लग रहा है।

 हरीश रावत ने जो कहा वो भी शब्दशः समझना जरूरी है –

जब मैं अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ का सांसद था तो उस समय मुझे टिहरी विकास परिषद के लोगों ने भैलो खेलने के लिए और बग्वाल में सम्मिलित होने और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लेने के लिए बुलाया था, तो मेरा भैलो व इगास से लगभग 30- 32 साल का संबंध है। मगर मैं बधाई देता हूं अपने राज्यसभा के सांसद को कि उन्होंने इगास अपने गांव में मनाकर के इगास को समाचारों की सुर्खियों में लाने का काम किया। इगास जो हमारी सांस्कृतिक विविधता व आध्यात्मिक परंपराओं का लोक पर्व है जिसके साथ कई कथानक जुड़े हुए हैं। मगर आज मैंने आदरणीय राज्यसभा सांसद जी का बयान पढ़ा जिसमें उन्होंने कहा कि इगास उत्तराखंड की दशा को बदल देगा। चुनाव के वर्ष में मुख्यमंत्री जी चमत्कारी घोषणा कर ही रहे हैं और ऐसा लगता है दूसरे भाजपाई भी मुख्यमंत्री को अकेले उड़न छू घोषणाएं करने का श्रेय नहीं लेना-देना चाहते हैं, क्योंकि उन्होंने यह नहीं बताया कि इगास कैसे गांव से हो रहे पलायन को रोकने और रिवर्स पलायन करवाएगी! कांग्रेस सरकार ने मेरा गांव-मेरा धन योजना, मेरा गांव-मेरी सड़क, मेरा गांव-मेरा पोखड़ा, मेरा गांव-मेरा वृक्ष जैसी योजनाएं भी प्रारंभ की। फूलदेई-छम्मा देई का त्यौहार, उतरायणी का त्यौहार और चैतोले की परंपरा को जागृत करने के लिए अपने गांव लौटने वाली बहू-बेटी को ₹500 की एक साड़ी और ₹500 का टीका, सरकार की तरफ से देने की योजना भी लागू की। यह सारी योजनाओं जो हमारे सांस्कृतिक वैभव के साथ जुड़ी हुई हैं, जिनको वर्तमान सरकार ने बंद कर दिया है। मगर चुनाव के वक्त में भैलो के ऊपर इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंप दे रहे हैं कि उत्तराखंड के सारे कष्ट भैलो से दूर हो जाएंगे! उत्तराखंड के लिए स्मृति का द्वार खुल जाएगा! धन्य हैं सांसद महोदय आपने इतनी ऊंची फेंक दी है कि वहां तक तो अब माननीय मुख्यमंत्री जी फेंक ही नहीं पाएंगे और चाहे कितना ही जोर लगा लें इतना ऊंचा तो शायद मोदी जी भी नहीं फेंक पाएंगे! खैर जब भाजपा में यह प्रतियोगिता चल ही रही है कि कौन कितना ऊंचा फेंकता है, आपको उस प्रतियोगिता में सम्मिलित होते देखकर मुझे अच्छा लगा। जय हिन्द

 

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