बुलडोजर एक्शन पर यूपी के मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री में वार पलटवार

सरफराज सैफी 

एंकर/वरिष्ठ पत्रकार

उत्तर प्रदेश में बुलडोजर एक्शन पर सियासत गरमा गई है। बुलडोजर एक्शन पर दोतरफा हमला शुरू हो गया है। सुप्रीम कोर्ट में पिछले दिनों बुलडोजर कार्रवाई पर बड़ी सुनवाई हुई। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए जाने की बात कहा है,अब इस मामले पर यूपी के सियासत का पारा हाई है। योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट के टिप्पणी को सियासी हथियार बनाकर अब अखिलेश यादव ने यूपी सरकार पर वार किया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी अखिलेश पर अपने ही अंदाज में पलटवार किया। अखिलेश यादव ने कहा कि 2027 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी तो बुलडोजर का रुख गोरखपुर की तरफ मोड़ा जाएगा, इसपर सीएम योगी ने अखिलेश पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि बुलडोजर चलाने के लिए हिम्मत होनी चाहिए। पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने बुलडोजर एक्शन पर कहा कि बीजेपी सरकार में निर्दोषों को सताया जा रहा इसपर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, दंगाइयों के सामने नाक रगड़ने वाले बुलडोजर के सामने पस्त हैं।अखिलेश यादव ने कहा कि 2027 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी सरकार बदलने पर बुलडोजर को गोरखपुर भेजेंगे।जिसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने तंज कसते हुए कहा, टीपू भी सुल्तान बनने का सपना देख रहे हैं और हर व्यक्ति के हाथ में फिट नहीं हो सकता बुलडोजर।बुलडोजर चलाने के लिए दिल और दिमाग चाहिए।अखिलेश यादव के बयान के बाद यूपी में राजनीतिक माहौल गरमा गया है और खुद सीएम योगी से लेकर बीजेपी के तमाम नेता अखिलेश के बयान पर हमलावर हो गए।दरअसल अखिलेश यादव ने बुलडोजर पर बहस की शुरूआत प्रस कॉन्फेंस से पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए की थी। अखिलेश यादव ने कहा कि 2027 में समाजवादी पार्टी सरकार बनते ही पूरे प्रदेश के बुलडोजरों का रूख गोरखपुर की तरफ होगा। जिसके बाद ये सवाल उठने लगा कि अखिलेश ने बुलडोजर एक्शन की बात सिर्फ गोरखपुर ही करने को क्यों कहा। तो इसका शायद मतलब है कि सीएम योगी आदित्यनाथ का गढ़ है गोरखपुर इसलिए अखिलेश यादव ये बात कह रहे हैं,गोरखपुर से पांच बार सांसद रहे हैं योगी आदित्यनाथ,शायद यही वजह है कि अखिलेश के टारगेट पर गोरखपुर है और इसलिए अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की सरकार बनते ही कहा कि बुलडोजर का रुख गोरखपुर की तरफ मोड़ दिया जाएगा। लेकिन अखिलेश के इस बयान पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने तंज कसते हुए कहा कि मुगेरी लाल के हसीन सपने देख रहे हैं। बता दें कि देश के कई राज्यों में अभियुक्तों की संपत्ति के खिलाफ बुलडोज़र एक्शन की कार्रवाई करने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सख़्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी के घर को गिराना उचित नहीं है। अदालत ने शासन और प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अगर कोई व्यक्ति दोषी भी है, तो भी उसके घर को गिराया नहीं जा सकता। बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट दिशानिर्देश तय करेगा। जिसके आधार पर ही जब भी तोड़फोड़ की कार्रवाई की ज़रूरत होगी तो उसी आधार पर वो की जाएगी। हालांकि, कोर्ट ने यूपी में चलने वाले बुलडोजर एक्शन की सराहना भी की, सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार के जवाब पर खुशी जताई और हलफनामे में अपनाए गए रुख की तारीफ की।यूपी की योगी सरकार ने कहा कि प्रदेश में किसी का भी घर बिना कानूनी प्रकिया के नहीं तोड़ा जा रहा।गृह विभाग के विशेष सचिव ने हलफनामे में कहा कि किसी भी अचल संपत्ति को कानूनी प्रक्रिया के तहत ही ध्वस्त किया जा सकता है,और हम उसी का पालन कर रहे हैं।

मामले से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने साफ साफ कहा, हम पूरे देश के लिए दिशानिर्देश तय करेंगे। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि किसी भी अवैध निर्माण को संरक्षण देंगे, और यूपी सरकार कह रही है कि यूपी में होने वाली कार्रवाई को नियम-कानून के तहत ही पूरा कराया जाता है। ऐसे में प्रदेश में फिलहाल बुलडोजर एक्शन पर रोक नहीं लगेगी, ये तय माना जा रहा है। वैसे सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का इंतजार किया जा रहा है। लेकिन इस बीच बुलडोजर को लेकर जुबानी जंग चल रही है। यूपी की सियासत में ऐसी जुबानी जंग तब भी नहीं चली थी, जब लोकसभा के 80 सीटों पर संग्राम छिड़ा था। इस बार 10 विधानसभा में उपचुनाव का अभी तारीख तक का पता नहीं है, लेकिन बुलडोजर को लेकर सियासी दंगल ऐसा मचा है कि तंज की ये बौछार रूकने का नाम नहीं ले रही।सीएम योगी ने बुलडोजर कार्रवाई के लिए दिल और दिमाग का होना जरूरी बताया तो अखिलेश यादव ने कहा कि बुलडोजर में दिमाग नहीं होता स्टीयरिंग होता है।बुलडोजर को लेकर चल रही इंसाफ-नाइंसाफी की सियासत तब एक कदम और आगे बढ़ गई जब बीजेपी ने अखिलेश यादव के इस बयान को हिंदू जनभावना और गोरखपुर मंदिर से जोड़ दिया। दरअसल, उत्तर प्रदेश में लोकसभा के नतीजों के बाद से ही सियासी पारा हाई है। बीजेपी लोकसभा में हुए नुकसान के भरपाई में लगी है, तो समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव में मिली जीत से जोश में है लेकिन इस बार उपचुनाव में क्या इंडिया गठबंधन क्या उसी ताकत से लड़ पाएगा। हालांकि अखिलेश यादव दावा कर रहे हैं कि उपचुनाव में 10 की 10 सीटें समाजवादी पार्टी ही जीतेगी।

योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से बुलडोजर को लेकर उत्तर प्रदेश की सियासी पारा हमेशा से हाई रही है।प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के आने के बाद कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ऐसे कई फैसले लिए गए, जिसकी चर्चा देश भर में काफी हुई, इसमें एक बुलडोजर न्याय भी शामिल है। बुलडोजर एक्शन ने सीएम योगी को एक राजनीतिक ब्रांड बनाने में मदद की इसके अलावा इसी का सहारा लेते हुए अपराध के प्रति सख्त मुख्यमंत्री की छवि तैयार हुई। और वो भी ऐसे राज्य में जहां कानून के शासन-प्रशासन पर अक्सर ही सवाल खड़े किए जाते थे। योगी आदित्यनाथ को बुलडोजर एक्शन का राजनीतिक तौर पर बहुत फायदा मिला और देशभर में योगी आदित्यनाथ अपने समर्थकों के बीच बुलडोजर बाबा बन गए।इस बुलडोजर एक्शन की धमक धीरे-धीरे दूसरे राज्यों में भी देखने को मिलने लगी यानी एक तरह से सीएम योगी का बुलडोजर मॉडर देश के अलग-अलग राज्यों ने भी अपनाया लेकिन विपक्ष ये आरोप लगाने लगा कि बुलडोजर सिर्फ अल्पसख्यकों को टारगेट कर रहा है। हालांकि बुलडोजर एक्शन उन अपराधियों के संपत्तियों पर भी हुआ जिनका अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक नहीं था।जैसे जुलाई 2020 में विकास दुबे के घर पर बुलडोजर एक्शन हुआ हर कोई जानता है कि विकास दुबे कौन है।इसके बाद नवंबर 2020- भदोही में माफिया विजय मिश्रा के घर पर बुलडोजर कार्रवाई की गई।अगस्त 2022 में गौतमबुद्ध नगर में श्रीकांत त्यागी के अतिक्रमण पर एक्शन लिया गया। 19 जून 2024 में लखनऊ में अवैध मंदिर गिराया गया,29 जून 2024 को बरेली में राजीव राणा के आलीशान रिजॉर्ट पर कार्रवाई ।अगस्त 2024 प्रतापगढ़ में रोहित पांडेय का अवैध निर्माण गिराया गया।ऐसा भी नहीं कि बुलडोजर एक्शन सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही देखने को मिला है, कांग्रेस की सरकार रहते राजस्थान में अशोक गहलोत ने भी वैसे ही मामलों में बुलडोजर चलवाया था, जैसे योगी आदित्यनाथ कराते रहे हैं, यानी सीएम योगी का बुलडोजर मॉडल ना सिर्फ बीजेपी में फेमस है बल्कि विपक्ष भी बुलडोजर मॉडल अपनाते रहे हैं।सितंबर, 2020 मुम्बई में कंगना रनौत के दफ़्तर गिराया गया।2022 गिरिडीह, झारखंड में मजदूर की हत्या के आरोपी मोबिन अंसारी की दुकान गिराई गई इसके साथ ही 2023 जयपुर में पेपर लीक केस में अशोक गहलोत सरकार का बुल्‍डोजर एक्शन देखने को मिला।

2022 जयपुर पेपर लीक केस में आरोपी के कॉलेज और स्कूल को गिराया गया।यानी बुलडोजर एक्शन सत्ता पक्ष हो या विपक्ष दोनों तरफ ही खुब सुर्खियों में रहा है। और देश की ज्यादातर सरकारें अब इसका इस्तेमाल कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने में कर रही है। अब ये कितना सही है और कितना गलत ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है। अब इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट क्या गाइडलाइन जारी करती है, इसपर सबकी नजर रहेगी।लेकिन फिलहाल विपक्ष ने इसे अपना सियासी हथियार बना लिया है जिसे लेकर योगी सरकार पर लगातार सियासी वार किया जा रहा है।

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