ASI ने दिया अलीगढ़ कचहरी को हेरिटेज बिल्डिंग का दर्जा

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में कई ऐतिहासिक इमारतें हैं, जिनमें अलीगढ़ कचहरी भी शामिल है. अलीगढ़ कचहरी ने 160 साल के अपने इतिहास में वो साक्ष्य व मुकदमे देखे हैं, जो अंग्रेजी शासन के दौर में भी निस्तारित हुए थे. इस ऐतिहासिक कचहरी (जिला न्यायालय) की इमारत को पुरातत्व विभाग ने अब हेरिटेज बिल्डिंग का दर्जा दे दिया है.

यह इमारत सन् 1905 में बनी थी, तब अंग्रेजी शासनकाल के गवर्नर लेफ्टिनेंट सर जेम्स डिगर हुआ करते थे. उनके कार्यकाल के दौरान ही इस कचहरी का निर्माण हुआ था. अलीगढ़ की इस ऐतिहासिक कचहरी में एक संग्रहालय भी है. जहां आज भी अंग्रेजी शासन में निस्तारित मुकदमों की फाइलें सुरक्षित रखी गई हैं. इन फाइलों में ज्यादातर सिविल वाद हैं. जिनमें उर्दू, फारसी, अवधी भाषा का समावेश दिखाई देता है, जबकि कोर्ट के द्वारा दिए गए आदेश अंग्रेजी भाषा में ही हैं.

स्याही में कलम भिगोकर लिखे जाते थे फैसले

आज के दौर में जहां एक प्रार्थना पत्र भी कंप्यूटर से टाइप किया जाता है, वहीं अंग्रेजी शासनकाल के दौरान इस कचहरी में तब ऐसा नहीं था. न्यायिक अधिकारी स्याही में कलम डुबोकर फैसला लिखते थे. उस समय उर्दू, फारसी, भाषा का प्रयोग अधिक किया जाता था। पिछली सात पीढ़ियों से इसी कचहरी में वकालत करते आ रहे वकील बताते हैं कि आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस तरह की ऐतिहासिक इमारत पूरे उत्तर प्रदेश में कहीं देखने को नहीं मिलेगी. दूसरे किसी भी जिले की कचहरी से बड़े कमरे सिर्फ अलीगढ़ की ही इस कचहरी में मौजूद हैं. करीब 5 एकड़ से ज्यादा में फैले परिसर में यह कचहरी बनी हुई है, जिसमें वर्तमान में 54 जजों की तैनाती है. तकरीबन 4 हजार वकील यहां कार्य करते हैं. इस कचहरी द्वारा कई ऐतिहासिक निर्णय सुनाए गए हैं, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं.

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