ऐसा भी हुआ था जब देश में पहली बार पति-पत्नी बने थे संसद

बात उस वक़्त की है जब फैजाबाद और अब अयोध्या में कलेक्टर रहे केके नैयर जब बहराच से और उनकी पत्नी कैसरगंज से चुनाव लड़ीं। जिले की जनता ने दोनों को एकसाथ जीत दिलाई थी। देश में पहली बार लोकसभा चुनाव में एक साथ पति और पत्नी जीतकर संसद पहुंचे थे। अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बाबरी मस्जिद के विवाद का कोर्ट के आदेश पर पटाक्षेप हो गया है। अयोध्या में रामलला विराजमान हो गए हैं। जबकि बाबरी मस्जिद के लिए भी दूसरी जगह जमीन देदी गई है। भाजपा की ओर से मंदिर और मस्जिद का मुद्दा उठाया जाता था, लेकिन मंदिर और मस्जिद का हल निकलने के बाद भी इससे जुड़ी घटनाएं लोगों को अतीत में डाल रही है।

लोकसभा चुनाव में एकबार पुनः मंदिर और मस्जिद की देख-रेख करने वाले फैजाबाद अब अयोध्या के तत्कालीन जिलाधिकारी केके नैयर ने वर्ष 1966 के आसपास विवाद को बढ़ता देख अदालत के आदेश पर बाबरी मस्जिद में ताला लगवा दिया। इसके बाद उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और केके नैयर राजनीति में उतर गए। जिले में इसका असर भी देखने को मिलता है।

जिले से अधिकतर समय भाजपा या उससे जुड़ी पार्टी ही सबसे अधिक बार जीत दर्ज करने में सफल रही है। जनसंघ पार्टी ने केके नैयर को बहराइच और उनकी पत्नी शकुंतला नैयर को कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र से टिकट दिया। दोनों को जिले की जनता ने सर आंखों पर बैठाया। इसका आलम रहा कि वर्ष 1967 में हुए लोकसभा चुनाव में बहराइच और कैसरगंज लोकसभा सीट से पति पत्नी ने एकसाथ जीत दर्ज की थी। यह एक रिकार्ड भी है कि दंपती को जिले की जनता ने एक साथ संसद भेजा।

देश में पहली बार पति-पत्नी गए संसद

बहराइच और कैसरगंज लोकसभा सीट से जनसंघ पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव मैदान में उतरे के के नायर और उनकी पत्नी को जिले की जनता ने एकसाथ जब चुनाव जितवाया तो देश की राजनीति में यह मामला सुर्खियों में बन गया। देश के साथ जिले में भी लोग कहने लगे कि जनता ने भावनाओं को समझते हुए जीत दिलाई है। बहराइच से केके नैयर और कैसरगंज लोकसभा से शकुंतला नैयर ने एकसाथ लोकसभा चुनाव जीता था। वर्ष 1967 में हुए चुनाव में देश में यह पहला मौका था कि किसी जिले से पति और पत्नी को चुनाव जितवाकर उन्हे संसद भेजा गया है।

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