सुबह के सबसे ज्यादा बिक्री होने वाले उत्पादों में दूध, ब्रेड, बिस्कुट, जूस, रस्क समेत अन्य खर्च 70 रुपये से ज्यादा दाम बढ़ा है । टूथपेस्ट, साबुन समेत दूसरी चीजों की कीमतों में भी इजाफा हो गया है।
क्या आपने गौर नहीं किया है कि बीते कुछ दिनों में आपके नाशे की प्लेट कितनी मंहगी हो गयी है। फल , दूध , ब्रेड , अंडा , सलाद , स्प्राउट के साथ साथ पेट्रोल, डीजल, सीएनजी की बढ़ती कीमतों के बीच महंगाई ने रसोई में बनने वाले वेरायटी को भी कम कर दिया है। यही वजह है कि बजट ने आपके नाश्ते की टेबल को भी झकझोरना शुरू कर दिया है। बीते तीन माह में ही एक परिवार का सुबह का खर्च करीब 100 रुपये बढ़ गया है।
दूध, ब्रेड, बिस्कुट समेत नाश्ते के टेबल पर सजने वाली चीजों का खर्च 70 रुपये से ज्यादा बढ़ गया है। टूथपेस्ट, साबुन, चीनी समेत दूसरी चीजों को मिला देने से आंकड़ा 100 रुपये से ऊपर बैठ रहा है। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ा है। महंगाई के असर को सीमित करने के लिए कई लोगों ने इसकी तरकीब मात्रा और गुणवत्ता से समझौता करके निकाला है। विशेषज्ञ बताते हैं कि बढ़ती महंगाई का असर सेहत, शिक्षा समेत जिंदगी के हर पहलू पर पड़ रहा है।
मात्रा के साथ गुणवत्ता से भी समझौता
हर दिन बढ़ती महंगाई ने उपभोक्ता को मात्रा के साथ गुणवत्ता के स्तर पर भी समझौता करने का मजबूर किया है। जब हम दुकानदारों से बात करते हैं तो वो भी कहते हैं कि पहले जो दो लीटर दूध लेकर जाते थे, अब एक लीटर तक कर दी है। वहीं, फुल क्रीम की जगह टोंड व डबल टोंड की मांग भी बढ़ी है। यही चीज ब्रेड, मक्खन, जूस आदि चीजों के साथ दिखती है।
बावजूद इस तरकीब को आजमाने के, लोग महंगाई की मार झेल नहीं पा रहे हैं। दुकान पर ही खड़े खड़े ग्राहक से पूछेंगे तो वो भी कहते हैं कि महंगाई आसमान छू रही है। नतीजतन कई तरह से समझौता करना पड़ रहा है। बच्चों को फल पसंद होने से पहले नाश्ते के टेबल की यह जरूर होता था। लेकिन अब हफ्ते में एकाध बार इसे खरीद रहे हैं। यानी क्वलिटी से समझौता करते हुए अब लोग जैसे तैसे ही नाश्ते का लुत्फ़ ले पा रहे हैं।