एक वक्त हुआ करता था, जब माता-पिता बच्चों के पढ़-लिखकर डॉक्टर, इंजीनियर बनने के सपने देखा करते थे. हमेशा ही माता-पिता चाहते हैं कि बच्चे ऊंचे पद पर काम करें लेकिन आजकल की पीढ़ी का रुझान ज़रा बदल चुका है. उनके सपने भी इंटरनेट और सोशल मीडिया के चक्कर में ज़रा बदल चुके हैं. तभी तो एक हालिया स्टडी में बताया गया कि नई जेनरेशन ज्यादा पढ़ने-लिखने में दिलचस्पी नहीं रखती बल्कि इंटरनेट पर छा जाने के सपने देख रही है.टिकटोक , यूट्यूब , इंस्टा और अब एफबी रील्स की धूम ने यूथ को न्यू जॉब दे दिया है। रोजाना कभी भी , कहीं भी , कैसी भी दिनचर्या हो बस वीडियो बनायीं , अपलोड की और फॉलोवर्स के आंकड़ों के मुताबिक इसके ट्रेंडिंग को आगे बढ़ने में लग गए। आपके हमारे या पड़ोस के बच्चों को ज़रा ध्यान से देखिएगा कि कैसे वो मोबाइल ऐप के ज़रिये अपने टैलेंट को बाहर निकल कर सोशल मीडिया पर पेश कर रहे हैं और बहुत से ऐसे भी हैं जिनकी वीडियो लाखों व्यूज़ के साथ आमदनी का जरिया भी बन रही है। इसी बीच हमारी नज़र एक रिसर्च पर गयी . Higher Visibility की ओर से नए ज़माने के करीब 1000 लोगों पर स्टडी की गई, जिसमें पता चला कि 16-25 साल की उम्र के बीच का हर चौथा शख्स खुद को भविष्य में सोशल मीडिया एनफ्लुएंसर के तौर पर देखता है, न कि किसी पारंपरिक करियर में. आप ही सोचिए, ज़माना किस तेज़ी से बदल रहा है.पिछले कुछ वक्त से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एनफ्लुएंसर्स यानि वीडियो और तरह-तरह कंटेंट क्रिएट करने वालों की बाढ़ सी आ गई है. इंस्टाग्राम से लेकर ट्विटर और फेसबुक पर भी ऐसे लोग आपको आसानी से दिख जाएंगे. फैशन, ट्रैवेल, टेक्नोलॉजी, फूड, डिज़ाइन, आर्ट, क्राफ्ट और म्यूज़िक तक से जुड़े कंटें क्रिएटर्स की कमी नहीं है. ऐसे में HigherVisibility की ओर से जब 1000 जेन ज़ी यानि 16-25 साल के लोगों पर रिसर्च की गई, तो नतीजे चौंकाने वाले आए. इनमें से हर चौथा शख्स सोशल मीडिया एनप्लुएंसर बनने की प्लानिंग में है. ये रिसर्च अमेरिका की नई पीढ़ी पर जुलाई में की गई थी.