देश के तमाम राज्यों में ऐसा कम ही होता है जब पुलिस की संवेदनशीलता से लोग भावुक हो जाएं। लेकिन उत्तराखंड की मित्र पुलिस इस मामले में धनी है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वाक्या ही कुछ ऐसा है। देहरादून का डीआईजी दफ्तर , जहाँ डीआईजी / एसएसपी दलीप सिंह कुंवर कुर्सी छोड़ बाहर आये लोग समझ ही नहीं सके कि माज़रा क्या है। उन्होंने मौके पर चौकी प्रभारी को बुलाकर तत्काल अभियोग पंजीकृत करने के दिए निर्देश, मौके से सरकारी वाहन के द्वारा बुजुर्ग व्यक्ति को ससम्मान घर भिजवाया।देहरादून मे जब डीआईजी / एसएसपी ने एक 85 वर्षीय बुजुर्ग दिव्यांग व्यक्ति वंशीधर मेहंदीरत्ता अपनी शिकायत के संबंध में पुलिस उपमहानिरीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पहुंचे तो उन्हें भी उम्मीद नहीं रही होगी कि उन्हें ऐसा अनुभव भी हो सकता है। पुलिस कार्यालय देहरादून में दिव्यांगता के कारण वह सीढियां चढने के असमर्थ थे, जिसकी सूचना प्राप्त होते ही पुलिस उपमहानिरीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अपने कार्यालय से बाहर निकलकर स्वयं फरियादी दिव्यांग व्यक्ति से मिलने उनके पास गए। उनसे उनकी समस्याओं के सम्बन्ध में जानकारी ली। बुजुर्ग व्यक्ति ने बताया कि उनका पुत्र व पुत्रवधु उनको लगातार प्रताडित करते हैं, जिससे वह काफी त्रस्त हो चुके हैं।डीआईजी ने तत्काल मौके पर सम्बन्धित चौकी प्रभारी को बुलाकर इस प्रकरण में तत्काल अभियोग पंजीकृत कर आवश्यक विधिक कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित किया गया। साथ ही यह भी आदेश दिये कि पुलिस समय-समय पर उक्त बुजुर्ग व्यक्ति के घर जाकर उनकी कुशलक्षेम लेते हुए यदि उन्हें किसी भी प्रकार की समस्या हो तो उनकी यथासम्भव सहायता करना सुनिश्चित करें। इसके उपरान्त महोदय द्वारा मौके पर ही खड़ी क्षेत्राधिकारी प्रेमनगर के सरकारी वाहन से उक्त बुजुर्ग व्यक्ति को ससम्मान उनके घर भिजवाया गया, जिसका बुजुर्ग व्यक्ति द्वारा तहेदिल से धन्यवाद करते हुए उत्तराखण्ड पुलिस की कार्यशैली एवं दून पुलिस के व्यवहार की भूरी-भूरी प्रशंसा की गयी।