मोदीराज में जमीन से आसमान तक – मातृशक्ति ने भरी ऊँची उड़ान

सरफराज सैफी
न्यूज़ एंकर / वरिष्ठ पत्रकार

21 वीं सदी शुरुआत से महिलाओं की रही है। इन सालों में महिलाओं का भारत की आर्थिक व्यस्था में योगदान बढ़ा है इसका ही परिणाम है कि आज भारत की महिलाएं राजनीति, कारोबार, कला तथा नौकरियों में पहुँच कर नये आयाम गढ़ रही हैं। भूमण्डलीकृत विश्व में भारत की नारी ने अपनी एक सम्मानजनक जगह कायम कर ली है। फौज, राजनीति, खेल, पायलट और उद्यमी सभी क्षेत्रों में जहाँ वर्षों पहले तक महिलाओं के होने की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, वहां महिलाओं ने स्वयं को स्थापित ही नहीं किया है बल्कि वहां सफल भी हो रहीं हैं।स्वामी विवेकानन्द का मानना था कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति का सर्वोत्तम थर्मामीटर है, वहाँ की महिलाओं की स्थिति । हमें महिलाओं को ऐसी स्थिति में पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए, जहाँ वे अपनी समस्याओं को अपने ढंग से ख़ुद सुलझा सकें, हमारी भूमिका महिलाओं की ज़िंदगी में उनका उद्धार करने वाले की न होकर उनका साथी बनने और सहयोगी की होनी चाहिए ।क्योंकि भारत की महिला इतनी सक्षम है कि वे अपनी समस्याओं को ख़ुद सुलझा सकती है। कमी अगर कहीं है तो बस इस बात की, हम एक समाज के तौर पर उनकी क़ाबलियत पर भरोसा करना सीखें। ऐसा करके ही हम भारत को उन्नति के रास्ते पर ले जा पाएंगे। ऐसे में भारतीय राजनैतिक परिवेश में भी समय के साथ बदलाव आया है।और राजनीति के केंद्र में महिलाओं की भूमिका लगातार बढ़ी है।महिलाओं की सशक्तिकरण के लिए वर्तमान समय में भारतीय सरकार द्वारा महिलाओं के उत्थान के लिए अनेक कार्यक्रम एवं योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। इससे स्त्रियों की स्थिति में काफी बदलाव आए हैं, इसका ही परिणाम है कि पिछले दोनों चुनाव में बीजेपी को जो अविस्मरणीय जीत हासिल हुई उसको दिलाने में महिलाओं कि बहुत बड़ी भूमिका रही है। इसकी रूपरेखा का निर्माण कहीं न कहीं प्रधानमत्री मोदी के द्वारा जो देश व्यापी योजनायें चलाई गईं उनका काफी योगदान है।आजादी के बाद से मोदी सरकार मे महिला सशक्तीकरण को लेकर कई कदम उठाए गए ।क्योंकि आधी आबादी के सहयोग के बिना विकसित भारत के संकल्प को पूरा नहीं किया जा सकता।ऐसे में साल 2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद से ही पीएम मोदी ने महिलाओं के विकास के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार महिलाओं को ‘सुविधा, सुरक्षा, सम्मान’ प्रदान करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। गैस कनेक्शन के लिए उज्ज्वला, महिला शौचालयों के लिए स्वच्छता और घरों में नल के पानी के लिए जल-जीवन जैसी विचारपूर्वक बनाई गई योजनाओं ने न केवल महिलाओं के जीवन को सरल बनाया, बल्कि उन्हें आत्मसम्मान के साथ आत्मविश्वास की भावना भी प्रदान की। इसके साथ ही केंद्र की मोदी सरकार ने जिस तरीके से महिलाओं के शिक्षा पर फोकस किया है, उससे महिलाओ के जीवन स्तर मे खासा सुधार आया है। क्योंकि शिक्षा महिलाओं के उत्थान में अहम् रोल निभा रहा है, महिलाओ का विकास दूसरे महिलाओं के लिए रोल मॉडल का काम करती है। सशक्त महिला आज समाज में लीडरशिप रोल में है, जो पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है।मोदी सरकार ने महिलाओं को लेकर बनाई योजनाओं का नाम भी ऐसे रखा, जो सीधे महिलाओं के दिल को छू रही है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के जरिए महिलाओं को गैस सिलेंडर देना, जनधन योजना के तहत खाता खुलवाना, मुस्लिम महिलाओं को लेकर तीन तलाक को कानूनी रूप से खत्म करना जैसे विधेयक ने पीएम मोदी के कदम को बढ़ाया।

महिलाओं को लेकर मोदी सरकार की योजनाएं की बात की जाए तो बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना, सुकन्या समृद्धि योजना,महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने से आर्थिक रूप से मजबूत होना, महिला सम्मान बचत पत्र योजना के जरिए 2 लाख रुपये तक निवेश पर 7.5 फीसदी ब्याज मिलना,ग्रामीण महिलाओं के लिए महिला शक्ति केंद्र स्कीम लाना, मैटरनिटी लीव 12 की जगह 26 हफ्ते करना, प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना के तहत गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को बच्चे के जन्म पर 5000 रुपये देना,मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक पर कानूनी पाबंदी,प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त एलपीजी कलनेक्शन और सिलिंडर देना,आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख रुपये तक फ्री में इलाज,वर्किंग वुमेन हॉस्टल स्कीम चालू करना,बेटियों के पानी देने के लिए हर घर पाइप से पानी देने का अभियान,महिलाओं को बैंक से बिना गारंटी वाली मुद्रा योजना की शुरुआत, लखपति दीदी बनाने की योजना की शुरुआत, सेना में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देना जैसी तमाम योजनाएं हैं जिन्होंने आधी आबादी के जीवन पर सकारात्मक असर डाला है।

महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से मोदी सरकार ने सिर्फ योजनाओं की शुरुआत ही नहीं की, बल्कि असरदार और जमीन पर लागू भी कराया।ये सत्य है कि आज के समय में महिलाएँ घर की चारदीवारी से निकलकर सत्ता की बागडोर संभाल रही हैं, और न केवल संभाल रही हैं बल्कि कुशल संचालन कर रही हैं। लेकिन देश में महिलाओं की आबादी के अनुसार देखें तो राजनीति में महिलाओं की संख्या अभी भी काफी कम है। इसके अलावा, ग्रामीण अंचलों में पंचायत स्तर पर अधिकांश महिलाओं को केवल मुखौटे की तरह इस्तेमाल किया जाता है यानी चुनाव तो महिला जीतती है लेकिन सत्ता से संबंधित सभी निर्णय उसके परिवार के पुरुष सदस्य करते हैं।वहीं, न्यायालय में भी महिलाओं की संख्या संतोषजनक नहीं है।

आज भी महिलाओं की अधिकांश समस्याओं का कारण आर्थिक रूप से दूसरों पर निर्भरता है। यह बेहद चिंताजनक है कि देश की कुल आबादी में महिलाओं की स्थिति को देखा जाए तो महिलाओं की रोजगार में भागीदारी अभी भी कम है। इसी वजह से भारत की जीडीपी में महिलाओं की भागीदारी उम्मीद से अभी कोसो दूर है हर मोर्चे पर महिलाओं के साथ होने वाले भेदभावों को समाप्त कर पुरुषों के समान अर्थव्यवस्था में भागीदारी करने के अवसर प्रदान किए जाने जरूरी है।समय की माँग है कि अब महिलाएँ जाग्रत हों और अपनी क्षमता को पहचान कर, परंपरागत रूढ़ियों को खंडित कर देश की मुख्यधारा में अधिक से अधिक योगदान दें।लेकिन ये तभी संभव है जब सत्ता में बैठे लोगों की राजनीतिक इच्छाशक्ति महिलाओं की स्थिति सुधारने को लेकर मजबूत हो।

क्योंकि महिला सुरक्षा जब तक पूरी तरह से सुनिश्चित नहीं होगी,महिलाओं की स्थिति में सुधार की कल्पना पूरी तरह से जमीनी हकीकत में तब्दील नहीं होगी इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लखपति दीदी, ड्रोन दीदी, फ्री राशन, जनधन,हर घर जल नल जैसी योजनाये बनाकर महिलाओं को सक्षम बनाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जानते हैं भारत को अगर विकसित करना है तो जमीन से लेकर आसमान तक महिलाओं को साथ लेकर चलना पड़ेगा महिलाओं की हिस्सेदारी हर जगह रखनी होगी तभी भारत दुनिया के बाकी देशों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ेगा

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