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इसके लिए जब तीरथ सरकार ने मुख्य सचिव को लेकर खोज शुरू की तो दो नाम सामने आए थे, पहला 1988 बैच के आईएएस राधा रतूड़ी तो फिलहाल अपर मुख्य सचिव हैं. इसके बाद केंद्र में डेपुटेशन पर एसएस संधू. सूत्रों के अनुसार तीरथ सरकार ने संधू को नए मुख्य सचिव के तौर पर चाहती थी और इसके लिए केंद्र के साथ लिखा पढ़ी भी हो चुकी थी.
और फिर बदले मुख्यमंत्री
इस बात को लेकर केंद्र ने भी तेजी दिखाई और संधू का मामला फटाफट क्लीयर कर दिया लेकिन इसी बीच एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बदल गए और 11वें सीएम के तौर पर पुष्कर धामी आ गए. अब नए मुख्य सचिव को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी खासी चर्चाएं हैं. माना जा रहा है कि पुष्कर धामी भी चीफ सेक्रेटरी के बदलाव के साथ ही ब्यूरोक्रेसी में बड़े पैमाने पर पत्ते फेंटना चाहते हैं. लंबे समय से अपने पदों पर जमे कुछ अपर सचिव और सचिव स्तर के अधिकारी इस फेरबदल की जद में आ सकते हैं. वहीं आगामी चुनावों को देखते हुए कुछ जिलाधिकारी और एसएसपी भी आने वाले दिनों में इधर से उधर किए जा सकते हैं.
तीरथ के आने के साथ ही थे कयास
मार्च में जब त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री पद से हटे और तीरथ सिंह रावत दसवें सीएम के तौर पर उत्तराखंड की कुर्सी पर बैठे तो ये साफ हो गया था कि जो फिलहाल मुख्य सचिव थे उनका जाना तय है. अब तक मुख्य सचिव रहे ओमप्रकाश त्रिवेंद्र रावत के काफी करीबी थे और वे उन्हीं की सरकार में अपॉइंट हुए थे. उनके चयन को लेकर बीजेपी सरकार में कभी भ्ज्ञी एक राय नहीं थी.
संधू ने संभाले हैं कई महत्वपूर्ण पद
एसएस संधू की बात करें तो उन्होंने पंजाब, उत्तर प्रदेश उत्तराखंड जैसे राज्यों में काम किया है. इसके अलावा वह केंद्र में महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं. केंद्र में उन्होंने हायर एजुकेशन, टेक्निकल एजुकेशन विभागों में एडिशनल सेक्रेटरी के तौर पर काम किया. संधु की छवि, विषय के जानकार और कड़क मिजाज अफसर के तौर पर भी जानी जाती है. एनडी तिवारी सरकार के समय में संधू ने अपने काम की छाप छोड़ी थी.
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