अरशद मलिक , न्यूज़ वायरस
जिसने मुझे ही लिखा उसके बारे में मैं क्या लिखूँ, यही तमन्ना है मेरी उसे मैं सदा खुश रख सकू, जिसके ममता का कर्ज मै कभी न चुका सकूँ, उस माँ के बारे में अब क्या लिखूँ।
खुशी में माँ, गम में मां, जिंदगी के हर पहलू में माँ, दर्द को भाप ले, आंसुओं को नाप ले, जिंदगी के हर कदम पर माँ। माँ की ममता का कोई मोल नहीं, मां के प्यार को कौन भुलाए, मां की ही लोरी हमें रातों को सुलाए। माँ से रिश्ता ऐसा बनाया जाए, जिसको निगाहों में बिठाया जाए, रहे उसका मेरा रिश्ता कुछ ऐसे कि, वो अगर उदास हो तो हमसे मुस्कुराया ना जाए।
माँ ना होती तो वफ़ा कौन करेगा , ममता का हक भी कौन अदा करेगा, रब हर एक माँ को सलामत रखना, वरना हमारे लिए दुआ कौन करेगा रोटी वो आधी खाती है, मगर अपने बच्चो को पूरा खिलाती है, चाहे मेरी माँ हो या तुम्हारी, दोस्तों माँ सबकी ऐसी ही होती है। मां के बिना जिंदगी वीरान होती है, तनहा सफर में हर राह सुनसान होती है, जिंदगी में मां का होना जरूरी है, मां की दुआओं से ही हर मुश्किल आसान होती है। माँ माँ होती है।
रुलाना हर किसी को आता है, हँसाना भी हर किसी को आता है, रुला कर दो मना ले वो बाप है और जो रुला के खुद भी रो पड़े वही माँ है। माँ तेरी करामात से है ज़िन्दगी मेरी, माँ तेरी खिदमत में है ये बंदगी मेरी, माँ तेरी हर दुआ में है फ़िक्र मेरी, माँ तेरे कदमो में है ये जन्नत मेरी।