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ब्लैक फंगस के इलाज में काम आने वाले इंजेक्शन के लिए अपनी बारी का इंतजार करते तीमारदार.
गाइडलाइंस के मुताबिक, मरीज की रिपोर्ट के आधार पर सीएमओ ऑफिस से ही इंजेक्शन दिया जाएगा. रोजाना अपने पेशेंट की रिपोर्ट लेकर तीमारदार यहां आते हैं. मगर इंजेक्शन नहीं मिलने पर बैरंग लौट रहे हैं.
देहरादून. उत्तराखंड में रेमिडिसेवर (Remadecivir) इंजेक्शन के लिए जो आपाधापी पिछले कुछ दिनों तक थी, वह अब ब्लैक फंगस (black fungus) के इंजेक्शन (अम्फ्रॉथेसिन बी) के लिए होने लगी है. मरीजों के तीमारदार चीफ मेडिकल ऑफिसर के ऑफिस (CMO office) में डेरा डाले हैं और जिम्मेदारों ने हाथ खड़े कर दिए हैं. इंजेक्शन के लिए अपनी बारी का इंतजार देहरादून के चीफ मेडिकल ऑफिस में पिछले 4 दिन से देहरादून, ऋषिकेश और बिजनौर से ये लोग अपने परिजनों के लिए ब्लैक फंगस के इलाज में लगने वाले इंजेक्शन की खरीद के लिए आ रहे है. दरसअल सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक, मरीज की पूरी रिपोर्ट के आधार पर सीएमओ ऑफिस से ही इंजेक्शन दिया जाएगा. रोजाना सरकारी फॉर्म के साथ अपने पेशेंट की रिपोर्ट लेकर ये तीमारदार आते हैं. मगर इंजेक्शन नहीं मिलने पर बैरंग लौट रहे हैं. कुछ ने तो ऑफिस के बाहर ही इंजेक्शन के स्लॉट आने का इंतजार करना शुरू कर दिया है. दूसरे राज्यों के मरीजों का भी दबावदरअसल ऋषिकेश के ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज यानी कि एम्स में ही ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज हो रहा है. ऐसे में प्रदेश के अलावा पड़ोसी राज्य के मरीज भी वहां एडमिट हैं. यही वजह है कि देहरादून सीएमओ ऑफिस में दूसरे राज्यों के लोग भी इंजेक्शन के लिए पहुंच रहे हैं. इंजेक्शन तो उपलब्ध ही नहीं दिक्कत यह है कि स्वास्थ्य विभाग के पास इंजेक्शन है ही नहीं. जबकि एक मरीज को ब्लैक फंगस के इलाज में 70 से 100 इंजेक्शन तक लगाने पड़ रहे हैं. अब जिलाधिकारी व्यवस्था करवाने की बात कहते हैं जबकि फिलहाल सीएमओ डॉक्टर अनूप डिमरी तो इंजेक्शन की उपलब्धता को लेकर हाथ खड़े कर चुके हैं. अम्फ्रॉथेसिन बी इंजेक्शन की डिमांड अब तेजी से बढ़ रही है. अगर जल्द मरीजों को ये न मिल पाया तो उनके सामने जान का संकट खड़ा हो सकता है.
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