उत्तराखंड: मई के महीने पर कोरोना पड़ा भारी, 3500 ज्यादा लोगों की गई जान

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1 मई से 30 मई के बीच पूरे राज्य में 3777 लोगों की मौत हुई.

1 मई से 30 मई के बीच पूरे राज्य में 3777 लोगों की मौत हुई.

उत्तराखंड में मई के महीने में कोरोना महामारी आम जनता पर भारी पड़ी. एक महीने में कोरोना की दूसरी लहर मौत की ऐसी सुनामी बनकर आई कि हालात अब तक नहीं संभल सके हैं.

देहरादून. उत्तराखंड में इस बार मई का महीना मौत का महीना बनकर आया. एक अदृश्य वायरस हज़ारों लोगों की ज़िंदगी लील गया. इतना ही नहीं कोरोना की दूसरी लहर का कहर मई में ऐसी मुसीबत बनकर टूटा कि सरकार और शासन के हाथ पांव फूल गए. अस्पताल कम पड़ गए. नतीजा ये हुआ कि जिसे इलाज नहीं मिल पाया, उसने सड़क पर ही दम तोड़ दिया. आंकड़ों पर नज़र डालें तो आप खुद समझ जाएंगे कि मई में महामारी ज़िंदगी पर कितनी भारी पड़ी. 1 मई से 30 मई तक पूरे राज्य में 3 हज़ार 777 लोगों की मौत हुई. जिन लोगों ने घर में दम तोड़ा, वो इन आंकड़ों में शामिल नहीं है.

7 मई को एक दिन में सबसे ज़्यादा 9642 केस आए और 30 दिन में कुल करीब 1 लाख 48 हज़ार केस सामने आए. मई महीने में राज्य में एक्टिव केस का आंकड़ा करीब 80 हज़ार तक पहुंचा, जो अब करीब 30 हज़ार है. मई में सिर्फ कोरोना का आंकड़ा ही नहीं बढ़ा, बल्कि जानलेवा वायरस पहाड़ में भी चढ़ा. हालात ये हैं कि उत्तरकाशी और चंपावत को छोड़कर बाकी ज़िलों में एक्टिव केस 1 हज़ार से ज़्यादा हैं. वहीं मैदानी ज़िले देहरादून में जहां 55 कंटेन्मेंट जोन हैं, तो उत्तरकाशी में 60 कंटेन्मेंट जोन है. सरकार का कहना है कि कोरोना कंट्रोल हो रहा है, तो विपक्ष पोल खुलने की बात बोल रहा है.

सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल का कहना है कि सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि 10000 से घटकर केस अब 1500 से नीचे पहुंच चुके हैं. वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा की कोरोना वायरस ने सरकार की पोल खोल कर रख दी है प्रदेश की जनता को पता चल गया कि सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं थी और उसी का नतीजा है कि कोरोना वायरस अनकंट्रोल हुआ. मुसीबत और महामारी की मार के साथ मई महीना बीत चुका है, लेकिन आफत का दौर अभी खत्म नहीं हुआ है इसलिए जरूरत है सतर्क और सुरक्षित रहने की.





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