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![सांकेतिक तस्वीर.](https://images.news18.com/ibnkhabar/uploads/2021/05/corona-death-1.jpg?impolicy=website&width=459&height=306)
सांकेतिक तस्वीर.
इस साल 30 अप्रैल तक पिछले करीब 13 महीनों में जितनी मौतें कोरोना संक्रमण के चलते रिकॉर्ड हुईं, उनसे ज़्यादा आधे महीने में होने से स्वास्थ्य सेवाएं, ग्रामीण इलाकों में हालात और सरकारी कोशिशें चर्चा के केंद्र में हैं.
![uttarakhand news, uttarakhand news in hindi, corona in uttarakhand, corona in villages, उत्तराखंड न्यूज़, उत्तराखंड समाचार, उत्तराखंड में कोरोना, गांवों में कोरोना](https://images.news18.com/ibnkhabar/uploads/2021/05/corona-virus-2.jpg)
उत्तराखंड के नौ पहाड़ी ज़िलों में कोरोना मौतों के आंकड़ों से चिंता बढ़ी.
गांवों तक नहीं पहुंच रहीं दवाएं!
चमोली ज़िले में हालात कितने खतरनाक हैं, उसकी बानगी एरणी गांव के प्रधान मोहन नेगी ने दी. नेगी के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा गया कि ‘मेरे गांव में 80 फीसदी लोगों को बुखार है लेकिन कोई टेस्ट और इलाज उपलब्ध नहीं है. अफसरों ने वादा किया था, एक टीम आई भी थ जो कुछ सैंपल लेकर गई और कुछ दवाएं थमा गई.’ ये भी पढ़ें : बुखार पीड़िता का कोविड टेस्ट किए बगैर बोतलें चढ़ाता रहा डॉक्टर, युवती की मौत इस पर राज्य सरकार का कहना है कि हर संभव कोशिश की जा रही है. इस बारे में न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट एक निजी फाउंडेशन के हवाले से यह भी कहती है कि हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर पहले ही बुरी तरह दबाव झेल रहा है और नाकाफी नज़र आ रहा है. फाउंडेशन के अनूप नौटियाल के हवाले से कहा गया कि समय से ठीक इलाज मिल जाए तो 90 फीसदी से ज़्यादा केस सामान्य ही हैं. “सरकार को हर संभव कोशिश करना चाहिए जैसे फोन पर डॉक्टरी सलाह देने और ग्रामीण या दूरस्थ इलाकों में कोविड किट की होम डिलीवरी आदि कदम उठाने ज़रूरी हैं.”
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