जानिए क्या होता है ग्लूकोमा – नेत्र रोगों की रोकथाम के लिए  दून मेडिकल कॉलेज की पहल 

विशेष रिपोर्ट – फ़िरोज़ गाँधी
दून मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग के डॉक्टरों ने निकाला नेत्र जागरूकता मार्च

नेत्र रोगों की रोकथाम के लिए एक बड़ा मिशन
प्रिंसिपल डॉ आशुतोष सयाना का बड़ा सहयोगडॉ सुशील ओझा ने किया रैली का  नेतृत्व

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में  छह मार्च से विश्व ग्लूकोमा जन जागरूकता सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। संस्थान के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजीव मित्तल व डा. अजय अग्रवाल ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य लोगों को काला मोतियाबिंद के प्रति जागरूक करना है।
साथी उन्हें इससे होने वाले नुकसान से अवगत कराना है। जन जागरूकता से ही लोग इस बीमारी के चलते अंधेपन का शिकार होने से बच सकते हैं। लिहाजा जन जागरूकता कार्यक्रम से उन्हें इस दिशा में मदद मिलेगी।दून मेडिकल कॉलेज के विभागाध्यक्ष ,नेत्र रोग डॉ यूसुफ रिज़वी और डॉक्टर संजीव मित्तल, विभागाध्यक्ष,नेत्र रोग, एम्स, ऋषिकेश ने प्रशिक्षु डॉक्टरों का मार्गदर्शन करते हुए बताया कि 6 से 12 मार्च तक आयोजित होने वाले विश्व ग्लूकोमा जन जागरूकता सप्ताह के तहत 7 से 12 मार्च तक एम्स संस्थान के नेत्र रोग विभाग में आने वाले मरीजों का निशुल्क पंजीकरण व परीक्षण किया जा रहा है ।
उन्होंने बताया कि लोगों को यह बीमारी अपनी गिरफ्त में ले ले और वह अंधता का शिकार हो जाएं, उन्हें नियमित तौर पर काला मोतिया की जांच करानी चाहिए। उन्होंने लोगों से इस सप्ताह के तहत संस्थान में आकर ग्लूकोमा जांच की अपील की है।
 
क्या होता है ग्लूकोमा और कैसे बचें – 
 
ग्लूकोमा को आम भाषा में काला मोतिया या समलबाई भी कहते हैं। यह रोग ऑप्टिक तंत्रिका (²ष्टि के लिए उत्तरदायी तंत्रिका) में गंभीर एवं निरंतर क्षति करते हुए धीरे-धीरे दृष्टि को समाप्त कर देता है।
यदि इस रोग का उपचार न किया जाए तो व्यक्ति अंधा भी हो सकता है। अन्य महत्वपूर्ण कारकों में से एक कारक आंखों के दबाव का बढ़ना है, लेकिन किसी व्यक्ति में आंख का सामान्य दबाव रहने पर भी मोतिया¨बद विकसित हो सकता है।

इस कारण से होता है यह रोग

– आंख में उच्च आंतरिक दबाव (इंट्राओक्युलर प्रेशर)

– साठ वर्ष की उम्र से ऊपर

– पारिवारिक इतिहास

कुछ निश्चित चिकित्सीय स्थितियां जैसे कि मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और सिकल सेल एनीमिया

– आंख की निश्चित स्थिति में जैसे कि मायोपिया या दूर तक न देख सकें

– कुछ निश्चित प्रकार की नेत्र शल्य चिकित्सा

– लंबे समय के लिए काट स्टेरॉयड दवाएं जैसे कि विशेष रूप से आई ड्राप का उपयोग करना

 
 

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