लव मैरिज करने वालों के लिए टेंशन और बढ़ी

सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल जून के महीने में आर्य समाज में शादी को लेकर यह कहा कि उसे प्रमाण पत्र जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। वहीं अब इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से यह टिप्पणी सामने आई है कि सिर्फ आर्य समाज मंदिर के मैरिज सर्टिफिकेट से शादी नहीं होती है। आमतौर पर यह माना जाता है कि आर्य समाज में शादी आसानी से हो जाती है। आर्य समाज मंदिर में वैदिक रीति-रिवाज से शादी कराई जाती है। शादी के बाद सर्टिफिकेट भी दिया जाता है। ऐसे में सवाल यह है कि आर्य समाज मंदिर में शादी करने वालों को आगे किन कानूनी नियमों का पालन करना चाहिए।

आर्य समाज मंदिर में शादी पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

आर्य समाज मंदिर में हुई शादी में स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधान का पालन करना होगा। यह सवाल सुप्रीम कोर्ट में उठ चुका है और कोर्ट ने इसे एग्जामिन करने का फैसला किया है। मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस फैसले पर हाई कोर्ट ने आर्य समाज मंदिर में होने वाली शादी को स्पेशल मैरिज एक्ट के शर्तों को लागू करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी करते हुए हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आर्य समाज को विवाह प्रमाण पत्र जारी करने का कोई अधिकार नहीं है।आजादी के पहले से अंग्रेजों का बनाया एक्ट

आजादी से पहले अंग्रेजों ने आर्य मैरिज वैलिडेशन एक्ट को पारित किया था। साल 1937 में इसे पारित किया गया था। दूसरी जाति में शादी की इजाजत नहीं मिलने पर कई कपल ने आर्य समाज को अपनाया। यहां जाति को लेकर कोई भेद नहीं और लड़का-लड़की अलग जाति के हैं फिर भी उनकी शादी को मान्यता दी जाती है। ऐसी शादी को ही मान्यता देने के लिए आर्य मैरिज वैलिडेशन एक्ट लाया गया। इस एक्ट में लिखा गया है कि हिंदू के अलावा किसी धर्म से होंगे तब भी उनका विवाह अमान्य नहीं माना जाएगा। इस एक्ट को को आज भी आर्य समाज मंदिर अपनाते हैं।इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी आई सामने

आर्य समाज मंदिर की ओर से बड़े पैमाने पर जारी किए जाने वाले विवाह प्रमाण पत्रों की वैधता को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मानने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि सिर्फ आर्य समाज मंदिर की ओर से विवाह प्रमाण पत्र जारी होने से विवाह साबित नहीं होता है। इससे साफ हो गया है कि अगर शादी को कानूनी रूप से मान्यता देनी है तो उसका रजिस्ट्रेशन भी कराना होगा।

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