Flash Story
पीठ के दर्द से उठना-बैठना हो गया है मुश्किल, तो इन तरीकों से पाएं आराम
केदारनाथ धाम पहुंची मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, पुनर्निर्माण एवं विकास कार्यों का लिया जायजा
बेहद गरीब दिखने वाले ये हैं महाराणा प्रताप के वंशज 
पत्नी के नाम पर खरीदते हैं संपत्ति तो जान लें  नियम
भारत में यहां एक दिन में इतने रुपये का ही पेट्रोल-डीजल खरीद सकेंगे लोग 
उधमसिंह नगर : पीलीभीत में बारातियों की गाड़ी पलटी, तीन महिलाओं की मौके पर मौत 
पौड़ी : नाबालिग वाहन चालकों के खिलाफ पौड़ी पुलिस ने की ताबड़तोड़ कार्यवाही 
E PAPER OF 02 MAY 2024
DBS:फेस्ट में दून कालेजों के छात्रों का संगम,समापन सत्र में पहुंचे मंत्री सुबोध उनियाल

दुनिया को चौकाने आ रहे हैं बॉडीगार्ड चूहे ‘हीरो रेट्स’ – ये है खूबियां 

अगर आप चूहों को देखकर भागते हैं , चूहे आपके घर में रोजाना नुकसान करते हैं , और आप उन्हें पकड़कर राहत महसूस करते हैं तो अब रुक जाइये और न्यूज़ वायरस की इस खबर को पढ़ लीजिये। जी हाँ , यही बदमाश चूहे अब मुसीबत में आपकी जान बचने वाले हैं।
पहाड़ी राज्य उत्तराखंड हो या जापान , चाइना और नेपाल , जहाँ भी आपदा या भूकंप आता है तो रेस्क्यू ऑपरेशन सबसे बड़ी चुनौती होता है ऐसे में  भूकंप आने पर मलबे में दबे लोगों से कॉन्टैक्ट कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। लिहाज़ा अब यही चूहे यानी सर्वाइवर की मदद करने के लिए अफ्रीका के वैज्ञानिकों और अपोपो नाम के एक NGO ने चूहों को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है। अपनी पीठ पर बैग टांगे ये चूहे रेस्क्यू टीम की मदद कर खतरे में फंसे लोगों की जान बचा सकेंगे। रिसर्च को लीड कर रहीं डॉ. डोना कीन का कहना है कि अब तक 7 चूहों को इस प्रोजेक्ट के लिए ट्रेनिंग दी जा चुकी है। सिर्फ 2 हफ्ते में ही इन्होंने तेजी से सब कुछ सीख लिया। अपोपो की वेबसाइट के मुताबिक, ये चूहे अफ्रीका में मिलने वाली पाउच्ड रैट्स प्रजाति के हैं। इनका नाम ‘हीरो रैट्स’ रखा गया है।

जानकारी के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट के लिए चूहों को इसलिए चुना गया, क्योंकि इन्हें ट्रेनिंग देना बड़ा आसान होता है। साथ ही इनकी सूंघने की क्षमता ज्यादा होती है। चूहे औसतन 6 से 8 साल जीते हैं और इन्हें खिलाना-पिलाना किफायती होता है। ये छोटी सी छोटी जगह में भी आसानी से घुस जाते हैं और ज्यादातर बीमारियों से बचने में कामयाब होते हैं।

डॉ. कीन के अनुसार, चूहों के बैग में माइक्रोफोन, वीडियो डिवाइस और लोकेशन ट्रैकर रखा गया है। इसके जरिए रेस्क्यू टीम मलबे में दबे लोगों को ढूंढकर, उनसे बातचीत कर उनकी हालत का पता लगा सकेगी। फिलहाल चूहों को नकली मलबे में इस चीज की ट्रेनिंग दी जा रही है। बहुत जल्द इन्हें तुर्की जाने का मौका मिलेगा, क्योंकि वहां आए दिन भूकंप आने की घटनाएं होती रहती हैं।

डॉ. कीन कहती हैं कि चूहों का नाम बेमतलब ही खराब है। लोग इन्हें गंदगी फैलाने वाला जानवर समझते हैं, लेकिन चूहे बहुत स्मार्ट होते हैं। ये फटाफट नई स्किल्स सीखकर हमें चौंका सकते हैं। फिलहाल हीरो रैट्स भूकंप ही नहीं, बल्कि टीबी और ब्रूसिलोसिस नाम की बीमारी का सूंघकर पता लगाने की भी ट्रेनिंग ले रहे हैं। कुल मिलकर 170 चूहे इन सभी प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। तो है न कमाल की तैयारी , इसीलिए तो कहा जाता है कि कुदरत की बनाई हर कारीगरी की एक ख़ास अहमियत है , ज़रूरत उसके सही इस्तेमाल की है जो अब चूहों के मामले में फिट बैठती दिख रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top